भ्रष्टाचार विरोधी मंच ने QRG हॉस्पिटल पर लगाए गंभीर आरोप, 400 करोड़ का मामला, नेता अधिकारियों की मिलीभगत
फरीदाबाद 10 जून, 2022: भ्रष्टाचार विरोधी मंच की तरफ से गोल्फ कोर्स N.I.T में एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें फरीदाबाद शहर में हॉस्पिटलों द्वारा मचाई जा रही लूट के बारे में कागज़ों के साथ विस्तृत जानकारी दी गई । प्रेस कांफ्रेंस को समाज सेवी वरुण श्योकंद व बाबा राम केवल ने सम्बोधित किया । उन्होंने सबसे पहले QRG सेक्टर 16 के बारे में बताया कि इस हॉस्पिटल की 5 एकड़ ज़मीन सबसे पहले विवेकानंद आश्रम को 30/05/1978 हरियाणा सरकार के द्वारा हरिजन रेजिडेंशियल स्कूल एंड सोशल डेवलपमेंट सेंटर को चलाने के लिए दी गई थी , जो की आज तक वहाँ कोई सोशल डेवलपमेंट नाम का काम नही हो रहा है, बल्कि इस पूरी जमीन का व्यवसायीकरण कर दिया गया है , इस में कई बार खरीदफरोख्त भी की गई I इस जमीन की लीज डीड 17 /03 /1980 को की गयी जो कि स्वामी प्रकाशानंद (विवेकानंद आश्रम सेक्टर- 16 व हुडा के बीच में हुई ) और इसमें नियम शर्तों में यह साफ़ किया गया था कि न तो यह जमीन किसी को बेची जा सकती है और ना ही आगे लीज पर दी जा सकती है I लेकिन विवेकानद आश्रम ने दो साल बाद ही रजिस्टर्ड डीड के अंदर 11 /04 /1990 व 18 /05 /1990 यह जमीन आगे लीज पर दे दी जीवन सिंह को I
ऊपर से मैनेजमेंट ने 5 /84 से 5 /93 तक ग्राउंड रेंट भी नहीं भरा जोकि 11450 रूपए बनता था I ऊपर से इन्होने रामा कृष्णा पब्लिक स्कूल के नाम से एक स्कूल खोल दिया , हरिजन रेजिडेंशियल स्कूल एंड सोशल डेवलपमेंट सेंटर के बजाय I जिसकी वजह से 13 /07 /1993 को यह प्लाट रिज्यूम करने के आर्डर स्टेट ऑफिसर फरीदाबाद ने पास कर दिए I
1997 में एम सी एफ ने हुडा से 16 सेक्टर टेक ओवर कर लिया,लेकिन नियम और शर्तो में यह साफ़ था कि सैंक्शन ऑफ़ बिल्डिंग प्लान एंड कम्पलीशन सर्टिफिकेट इस सेक्टर का हुडा द्वारा ही दिया जायेगा I आगे वरुण ने बताया कि 5 एकड़ जमीन रिज्यूम करने के बजाय इससे फिर से 11/7/2003 को HSVP के अधिकारीयों के साथ मिलीभगत करके इसी ज़मीन पर 89th मीटिंग में डेंटल कॉलेज और हॉस्पिटल चलाने की परमिशन दी गई और इसमें एक्सटेंशन फीस भी नहीं ली गई, जो की 1991 से 2003 तक पेंडिंग थी जो करोड़ो रूपए बनती थी ।
2009 में ऊपर से अस्पताल ने कम्पलीशन सर्टिफिकेट नगर निगम से लिया हुआ है जोकि HSVP विभाग से लेना चाहिए था I
2 /12 /2010 को व 28 /06 /2013 को हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की सर्वे टीम ने दो बार साइट सर्वे किया और वहां पाया की न तो उन्होंने हरिजन रेजिडेंस स्कूल बनाया और न ही डेंटल कॉलेज की परमिशन ली, बल्कि उनकी जगह 450 बेड का अस्पताल बना दिया गया था I ऊपर से सारी ज़मीन QRG के नाम कर दी और एक तरह से सरकार के साथ 400 करोड़ का फ्रॉड किया गया और सारे नियम और शर्तों का उल्लंघन किया गया और इसमें किसी तरह कि स्टाम्प ड्यूटी भी नहीं दी जो करोडो में बनती इसके बारे भी अलग से जांच होनी चाहिए I
जिसकी वजह से 04/07/2013 Memo No. 16206 के हिसाब से यह प्लाट रिज्यूम कर लिया गया था I
इस आर्डर के खिलाफ सोसाइटी ने फिर अपील करी 02 /08 /2013 को सुप्रभा दहिया एडमिनिस्ट्रेटर हुडा के पास और इन्होने शत प्रतिशत इनको अनुचित लाभ पहुँचाया और अपने ही स्टेट ऑफिसर द्वारा किये गए सर्वे को झुठला दिया और 14 /01 /2014 को एक आर्डर पास किया जिसमे Resumption आर्डर को setaside कर दिया I इसके बारे में बाद में इनके खिलाफ डिपार्टमेंटल लिखा भी गया I और इस अपील में यह साफ़ लिखा हुआ था सोसाइटी द्वारा कि न तो यहाँ पर QRG नाम से कोई हॉस्पिटल चल रहा है और न ही इस तरह का कोई काम करने जा रहे है इससे यह साफ पता लगता है कि एडमिनिस्ट्रेटर हुडा इसमें संलिप्त था I इसमें आगे एडमिनिस्ट्रेटर हुडा Bijernder Singh व T C Gupta ने भी आपत्ति जताई थी I सोसाइटी ने इसके कुछ महीनो बाद ही 22 /01 /2015 को रिप्रजेंटेशन मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार को दी और उसमे साफ़ लिखा की हम 2390588921 रूपए 30 /11 /2000 तक खर्च कर चुके है और सभी डॉक्टर्स को भी अपॉइंट कर चुके है जिससे साफ़ पता लगता है की 2013 के resumption आर्डर को निरस्त कराने के लिए सुप्रभा दहिया से इन्होने झूठ बोला था I
लेकिन इसमें फिर सांठगांठ और भ्रष्टाचार करके व उच्च स्तर पर फ्रॉड करके अथॉरिटी की 111th मीटिंग में , (रिज्यूम करके ऑक्शन/ नीलामी करने के बजाए ) इस ज़मीन को जो की अब हॉस्पिटल बन चुकी थी, बिना एक्सटेंशन फीस लिए कोडियो के भाव में रीअलोकेट कर दी गई 16/8/2016 के आर्डर के तहत,यह गौर देने वाली बात है । वरुण ने बताया कि अलॉटमेंट नहीं होनी चाहिए थी क्योकि ऐसी कोई पॉलिसी नहीं थी और ये डिसाइड हुआ की फ्रेश अलॉटमेंट के रेट चार्ज कर दिए जाएं, उन्होंने फ्रेश अलॉटमेंट कर दी उसमें जो मेन पॉइंट था वो एक्सटेंशन ऑफ़ दा लीज पेंडिंग था और उसे साइलेंट रखा गया। इसमें फिर स्टाम्प ड्यूटी कि भी चोरी कि गयी क्योंकि जब फ्रेश अलॉटमेंट हुई थी तो या तो फ्रेश लीज डीड बनती या फिर रजिस्ट्री करी जाती जिसमे करोडो कि स्टाम्प ड्यूटी लगती जोकि अफसरों कि मिली भगत से सोसाइटी ने चोरी की I
0 Comments