हेपेटाइटिस से बचाव के लिए आर्टेमिस अस्पताल शुरू करेगा सुपर स्पेशियलिटी क्लिनिक



विश्व हेपेटाइटिस दिवस

2022 के लिए थीम के रूप में 'हेपेटाइटिस बीमारी का इलाज बेहतर तरीके से करने के लिए आर्टेमिस अस्पताल जल्द ही डाइजेस्टिव (पाचन संबंधी), लिवर (यकृत) और जीवन शैली की बीमारियों" से पीड़ित रोगियों के लिए विशेष सुपर स्पेशियलिटी क्लीनिक शुरू करेगा


लोगों के बीच लाइव चर्चा, रेडियो टॉक शो और वेबिनार जैसी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से जागरूकता पैदा किया जाएगा



गुरुग्राम, 28 जुलाई : आर्टेमिस हॉस्पिटल्स ने आज गुरुग्राम के सेक्टर 51 में अपने परिसर में कई कार्यक्रमों का आयोजन करके गैस्ट्रो और लीवर की बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया। इस विशेष दिन के महत्व और कारण को पहचान करने के लिए, कार्यक्रम के दौरान प्रतीकात्मक गुब्बारे छोड़े गए। इसमें विशेषज्ञों और गणमान्य व्यक्तियों की भागीदारी के साथ लाइव चर्चा, रेडियो टॉ शो और वेबिनार का आयोजन भी किया गया। इसमें विशेषज्ञों और गणमान्य व्यक्तियों ने गैस्ट्रो और लीवर रोगों पर सुझाव दिए और लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाई। रोगियों के बीच विशेष देखभाल प्रदान करने के लिए अस्पताल डाइजेस्टिव, लिवर और जीवन शैली की बीमारियों/मोटापे के लिए सुपर स्पेशियलिटी क्लीनिक शुरू करने की घोषणा की गई।


इस कार्यक्रम में डॉ. पवन रावल (हेड, (यूनिट- I), गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, पाचन और यकृत रोग), डॉ. कपिल देव जामवाल (हेड (यूनिट- I I) प्रमुख, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, पाचन और यकृत रोग), डॉ. एमए मीर, हेड गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी - लीवर एंड डाइजेस्टिव डिजीज (यूनिट- III), डॉ. अतुल शर्मा (सीनियर कंसल्टेंट एंड क्लिनिकल लीड इन मोटिलिटी, आईबीडी एंड थर्ड स्पेस एंडोस्कोपी, यूनिट- II), डॉ. राजेश कुमार पाधान सीनियर कंसल्टेंट और हेपेटोलॉजी और अग्न्याशय में क्लिनिकल लीड, यूनिट- II) और डॉ. अभिनंदन मिश्रा कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, यूनिट I) ने भाग लिया।


डॉ. पवन रावल प्रमुख, (यूनिट-I), गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, पाचन और यकृत रोग, आर्टेमिस अस्पतालों ने कहा "विश्व हेपेटाइटिस दिवस हर किसी के लिए एक साथ आने और हेपेटाइटिस की वैश्विक चुनौती पर जागरूकता बढ़ाने का अवसर है। यह समझना बेहद जरूरी है कि हेपेटाइटिस जैसे गैस्ट्रो और लीवर रोग का इलाज उपलब्ध है। उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 2022 के विषय के थीम है, हेपेटाइटिस रोग का रोकथाम और रोगियों के लिए हेपेटाइटिस इलाज को और पुख्ता बनाना। इसके लिए अस्पताल जल्द ही एक विशेष क्लिनिक शुरू करने जा रहा है। इससे मरीजों विशेषज्ञ डॉक्टरों से इलाज करने की सुविधा मिलेगी जिससे वे जल्दी ठीक होंगे। इसका उद्देश्य रोगियों को इस गंभरी बीमारी से निदान और प्रभावी इलाज देना है, ताकि किसी भी रोगी के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो सके और एक जीवन बचाया जा सके।"


हेपेटाइटिस का अर्थ है लीवर में सूजन और यह कई कारणों से हो सकता है। क्रोनिक हेपेटाइटिस के सबसे आम कारणों में से एक वायरल संक्रमण है और वायरल हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। वर्ल्ड हेपेटाइटिस एलायंस के अनुसार, वर्तमान में लगभग 500 मिलियन लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस बी या सी से संक्रमित हैं, और 3 में से 1 व्यक्ति एक या दोनों वायरस के संपर्क में आए हैं। ये चुनौतियां लीवर की गंभीर बीमारी और लीवर कैंसर का कारण बन सकती हैं। कार्यक्रम का आयोजन करके, आर्टेमिस ने प्रयासों में तेजी लाने और हेपेटाइटिस को सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में खत्म करने के वैश्विक मिशन में शामिल होने का भी आग्रह किया गया।


डॉ कपिल देव जामवाल, यूनिट (यूनिट- II) प्रमुख, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, पाचन और यकृत रोग आर्टेमिस अस्पताल ने कहा, "हम इलाज करने के लिए इंतजार नहीं कर सकते क्योंकि चुनौती इतनी गंभीर है कि हर 30 सेकंड में एक व्यक्ति हेपेटाइटिस से संबंधित बीमारी से मर जाता है। अनुमान है कि भारत में 4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी से पीड़ित हैं और 0.6-1.2 करोड़ लोग हेपेटाइटिस सी से पीड़ित हैं। वायरल हेपेटाइटिस से पीड़ित लोगों को परीक्षण और जीवन रक्षक उपचार के लिए इंतजार नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, गर्भवती माताओं को हेपेटाइटिस की जांच करवानी चाहिए और नवजात शिशुओं को जन्म के समय टीके लगाए जाने चाहिए। इस चुनौती से जुड़े धब्बे और भेदभाव को समाप्त करने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है और हितधारकों और निर्णय निर्माताओं को इस वैश्विक खतरे से लड़ने के लिए एक साथ आना चाहिए।"


डॉ. एम.ए. मीर, प्रमुख गैस्ट्रोएंटरोलॉजी-लीवर और पाचन रोग (यूनिट III) ने इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा, “हमारा उद्देश्य रोगियों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं को सरल बनाने और हेपेटाइटिस देखभाल को आसान बनाने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता करना है। हेपेटाइटिस बीमारी का उन्मूलन प्राप्त करने के लिए हेपेटाइटिस बी और सी के ग्रसित रोगिययों में से कम से कम 60% रोगियों का निदान किया जाना चाहिए और उपचार के लिए कम से कम 50% पात्र को 2025 तक (हेपेटाइटिस सी) या (हेपेटाइटिस बी) का इलाज कर ठीक किया जाना चाहिए। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, जरूरतमंदों को हेपेटाइटिस सेवाओं तक पहुंच होनी चाहिए जो सुलभ हों, और जो न्यायसंगत, प्रभावी, कुशल, समय पर और स्वीकार्य गुणवत्ता की हों।"


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