राम लीला में राम वनवास की लीला ने किया भावुक

 राज के बदले माता मुझको हो गया हुकम फकीरी का...

-राम लीला में राम वनवास की लीला ने किया भावुक



गुरुग्राम। जैकमपुरा स्थित श्री दुर्गा रामलीला के पांचवें दिन राम के राजतिलक की तैयारियों से लेकर उनके वनवास तक की लीला का मंचन किया गया। रानी कैकेयी द्वारा राम को वनवास और भरत को अयोध्या का राजा बनाने के वर मांगने से लेकर राम, लक्ष्मण व सीता के वनवास होने तक की लीला का सजीव चित्रण किया गया। इस लीला ने सभी को भावुक कर दिया।   



लीला में दिखाया गया कि अयोध्या नगरी में खुशी-खुशी दिन बीत रहे हैं। राम  के राजतिलक की तैयारियां चल रही थी। इसी बात को रानी कैकेयी से सांझा करने के लिए जब दशरथ उनके महल में जाते हैं तो वहां अंधेरा छाया होता है। इसका कारण वे मंथरा दासी  से पूछते हैं तो वे कुछ नहीं बताती। इसके बाद राजा दशरथ खुद उनके महल में जाते हैं तो रानी कैकेयी कोप भवन में लेटी हुई थी। इसका कारण वे बार-बार पूछते हैं, तो रानी उन्हें उनके द्वारा दो वचनों की याद दिलाती है। राजा दशरथ दोनों वचन मांगने को कहते हैं। वचन देने से पहले कैकेयी उन्हें राम की सौगंध दिलाती हैं। फिर कैकेयी बोली-उनके दो वचन हैं, पहले में भरत (पुनीत सहगल) को राज और दूसरे में राम को 14 साल का वनवास। विरह करते हुए राजा दशरथ अचेत हो जाते हैं। फिर राम वहां आते हैं और पिता दशरथ के पांव छूते हैं। पिता द्वारा जवाब न देने पर वे कैकेयी से इस बारे में पूछते हैं। कैकेयी सारी बात राम को बताती है। 



उनकी बात सुनकर राम कहते हैं यह तो खुशी की बात है कि माता-पिता की आज्ञा का पालन करने का उन्हें सौभाग्य मिल रहा है। फिर राम माता कौशल्या के पास आते हैं और खुद के वनवास की बात बताते हैं। कौशल्या राम को वनवास में भेजने को तैयार नहीं होती। राम और मां कौशल्या के बीच का संवाद यहां सभी को भावुक कर गया। एक गीत के माध्यम से राम कहते हैं-

राज के बदले माता मुझको हो गया हुकम फकीरी का, खड़ा मुंतजिर माता मैं तेरे हुकम मजिरी का।  



राम के साथ सीता और लक्ष्मण भी वन गमन की जिद करते हैं। राम उन्हें भी साथ लेकर चलने को राजी हो जाते हैं और तीनों राम, लक्ष्मण व भगवा वस्त्र धारण करते है। गुरू वशिष्ठ सीताजी को देख कैकेयी से कहा मर्यादा का उल्लंघन करके अधर्म की ओर कदम बढ़ाने वाली दुबुद्धि कैकेयी! तू केकयराज के कुल की जीती जाती कलंक है।

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