अनंत चतुर्दशी २०२२ जाने व्रत की महिमा पुराणिक महत्व ज्योतिर्विद राघवेंद्र रविश राय गौड़ से

अनंत चतुर्दशी २०२२ जाने व्रत की महिमा पुराणिक महत्व ज्योतिर्विद राघवेंद्र रविश राय गौड़ से 




31 अगस्त से शुरू हुआ गणेश उत्सव का महापर्व 9  सितंबर को अनंत चतुर्दशी वाले दिन समाप्त हो जाएगा। इसी दिन भगवान गणेश की पार्थिव प्रतिमा का विसर्जन भी किया जाता है। अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी व्रत का सनातन धर्म में अत्यधिक  महत्व है।

 देश भर में इस पर्व को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। 


*अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त *

अनंत चतुर्दशी पर पूजा का मुहुर्त 9 सितंबर 2022 को सुबह 06.25 बजे से शाम 06:07 तक रहेगा. यानी पूजा के लिए पूरे 11 घंटे और 42 मिनट होंगे. 

वहीं अगर चतुर्दशी तिथि की बात की जाए तो वह 8 सितंबर को सुबह 9.02 से शुरू होगी और 9 सितंबर 2022 को शाम 6:07 बजे तक रहेगी. 


*भगवान गणेश की पार्थिव प्रतिमा के विसर्जन का  शुभ मुहूर्त *

अनंत चतुर्दशी के दिन ही भगवान गणेश की पार्थिव प्रतिमा को विदाई भी दी जाएगी. अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी का विसर्जन शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन गणेश जी का विसर्जन करने से पुण्य फल मिलता है. तो आइए अब इस दिन गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त भी जान लीजिए.



सुबह गणेश विसर्जन मुहूर्त: सुबह 6.03 मिनट से 10.44 तक
दोपहर में गणेश विसर्जन दोपहर मुहूर्त: दोपहर 12.18 से 1. 52 मिनट तक
शाम को गणेश विसर्जन मुहूर्त: शाम को 5.00 बजे से शाम 6. 31 बजे तक


*भगवान अनंत (नारायण) को समर्पित पर्व अनंत चतुर्दशी पूजा की विधि व्रत की महिमा और मंत्र : *


अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन मिलता है. इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें. कलश पर अष्टदल कमल के समान बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करे ओर कलश पर भगवान विष्णु की प्रतिमा भी लगाएं. एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र बनाएं, अनंत राखी के समान रूई या रेशम के कुंकू रंग में रंगे धागे होते हैं  इसमें चौदह गांठें लगी होनी चाहिए. (14 गांठें हरि द्वारा उत्पन्न 14 लोकों की प्रतीक हैं।) इस सूत्रो भगवान विष्णु  के सामने रखें. अब भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की पूजा करें और 


*'अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।*

 *अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।'* 


मंत्र का जाप करें. इसके बाद अनंत सूत्र को बाजू में बांध लें. माना जाता है कि इस सूत्र को धारण करने से संकटों का नाश होता है. यह व्यक्तिगत पूजा है, इसका कोई सामाजिक धार्मिक उत्सव नहीं होता। 


पुरुष दाएं तथा स्त्रियां बाएं हाथ में अनंत धारण करती हैं।


 यूं तो यह व्रत नदी-तट पर किया जाना चाहिए और हरि की लोककथाएं सुननी चाहिए। लेकिन संभव ना होने पर घर में ही स्थापित मंदिर के सामने हरि से इस प्रकार की प्रार्थना करना चाहिए  -

 

'हे वासुदेव, इस अनंत संसार रूपी महासमुद्र में डूबे हुए लोगों की रक्षा करो तथा उन्हें अनंत के रूप का ध्यान करने में संलग्न करो, अनंत रूप वाले प्रभु तुम्हें नमस्कार है।'

 

 

अनंत चतुर्दशी पर कृष्ण द्वारा युधिष्ठिर से कही गई कौण्डिन्य एवं उसकी स्त्री शीला की कथा भी सुनाई जाती है। कृष्ण का कथन है कि 'अनंत' उनके रूपों का एक रूप है और वे काल हैं जिसे अनंत कहा जाता है। अनंत व्रत चंदन, धूप, पुष्प, नैवेद्य के उपचारों के साथ किया जाता है। इस व्रत के विषय में कहा जाता है कि यह व्रत 14 वर्षों तक किया जाए, तो व्रती विष्णु लोक की प्राप्ति कर सकता है।

 


*अनंत चतुर्दशी के दिन कुछ पुराणिक उपाय करने से आपको लाभ मिल सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में...*


अनंत चतुर्दशी के दिन नारायण भगवान की पूजा करें। साथ ही कलश पर जायफल चढ़ाएं। पूजा के बाद 14 जायफल बहते हुए जल में प्रवाहित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से पुराना से पुराना विवाद खत्म हो जाएगा। 


यदि आप कष्टों  से मुक्त होना चाहते हैं, तो अनंत चतुर्दशी के दिन 14 लौंग लगा हुआ लड्डू नारायण भगवान के कलश पर चढ़ाएं। पूजा के बाद इसे किसी चौराहे पर रख दें। ऐसा करने से मुसीबतें आपसे दूर रहेंगी। 


यदि आप या आपकेपरिवार का कोई सदस्य किसी पुरानी बीमारी से ग्रसित है, तो अनंत चतुर्दशी के दिन अनार उसके सिर से वार कर भगवान नारायण के कलश पर चढ़ाएं और फिर इसे किसी गाय को खिला दें। ज्योतिष के अनुसार, ऐसा करने से पुराना से पुराना रोग जल्दी ही ठीक होगा।  



*शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं *

*विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभांगम*

*लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं *

*वंदे विष्‍णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।*


अनंतरूपो-अनंतश्री: जितमन्यु: भयापहः ।

राघवेंद्ररविश रायगौड़

 ज्योतिर्विद

 9926910965

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