श्री गुरु द्रोणाचार्य रामलीला क्लब (रजि) गुरुग्राम गांव
"राम वनों को जाता री माता" कहकर श्री राम जी वनवास को जाते है
कैकई मंथरा संवाद के होने के बाद राजा दशरथ कैकई जी के साथ कोप भवन संवाद हुआ जिसमे कैकई जी ने दो वचन मांगे जिसमें से एक रामजी को चौदह वर्षों का बनवास व भरत जी के लिए अयोध्या का राजतिलक,
वचन में बंधे होने के कारण राजा दशरथ ना नही कर पाए |
इसके पश्चात श्री राम जी माता कौशल्या से वनों में जाने की इजाजत मांगते हैं और यह बात लक्ष्मण जी को पता चलती है और वह भी श्री राम जी से वनों में साथ जाने की जिद करते हैं |
इसके पश्चात माता सीता जी श्री राम जी के साथ वनों में जाने की जिद करती हैं और कहती हैं
मैं संग चलूं स्वामी, मैं संग चलूं स्वामी |
इन चरणों की दासी, ना जुदा करो स्वामी ||
उसके पश्चात श्री राम, माता सीता, लक्ष्मण जी तीनों राजा दशरथ से इजाजत लेकर वनों की ओर निकल जाते हैं |
बहुत ही हृदय विदारक दृश्य होता है जब राजा दशरथ अपने दोनों नौनिहालों को बेटी समान सीता को वनों में जाने से रोक नहीं पाते और सुमंत जी को उनके साथ भेजते हैं कुछ दूरी तक के लिए |
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