पानी में डूबने से हुई मासूम बच्चों की मौतों का जिम्मेदार आखिर कौन ? माईकल सैनी ( आप )

 पानी में डूबने से हुई मासूम बच्चों की मौतों का जिम्मेदार आखिर कौन ?  माईकल सैनी ( आप )



क्या होगा अब निकालकर ट्रैक्टरों से वर्षा-जल ,

उन परिवारों का तो उजड़ ही गया आने वाला कल ,

अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि देने पहुंचे तरविंदर सैनी माईकल


10/10/22 गुरुग्राम सेक्टर-111 बजघेड़ा वार्ड-2 शंकर विहार कॉलोनी निवासी छ मासूम बच्चों की बारिश में नहाते समय पानी में डूबने के कारण मौत हो गई  यह दुखद हादसा कल रविवार दोपहर करीब तीन बजे घटित हुआ  दरअसल सात बच्चे बारिश में खेलते हुए डहर नुमा स्थान पर जमा पानी में नहाने के लिए छ बच्चे पानी में उतर गए बाकी बचा एक भी तैयार था कि तभी उसने अपने साथीयों को डूबते हुए देखा जिसकी सूचना उसने परिजनों को दी जब ही से कॉलोनी में चीत्कार सा मच गया और लोग उस स्थान की ओर दौड़े  मगर वहां मौजूद एक गार्ड ने उन्हें गुमराह कर दिया कि उसने उन बच्चों को उधर दौड़ते हुए देखा है कहा और लोग उस बनी नुमा जंगल में उन्हें तलाशते रहे  प्रशासन भी सूचना के बहुत देर बाद पहुंचा ,फायर बिग्रेड और गोताखोरों की टीम को भी बाहर से बुलाया गया जिसमें काफी समय लगा  तबतल्क बहुत देर क्या अंधेर हो चुकी थी  मृतकों में से दो भाई तो एक ही परिवार से थे और बाकी चारों बच्चे भी अपने माता पिता के एक ही संतान थे  अब सवाल यह उठता है कि केवल वह गार्ड ही दोषी है क्या जिसने गुमराह किया कॉलोनीवासियों को या प्रशासन की लेटलतीफी को भी जिम्मेदार मानते हो ? 


तरविंदर सैनी (माईकल ) आम आदमी पार्टी नेता गुरुग्राम के अनुसार इस दुखद हादसे के लिए साशन-प्रसाशन बिल्डर कंपनी भी उतने ही दोषी हैं जितना कि वह गार्ड  क्योंकि गार्ड ने भी लापरवाही की है  परन्तु बिल्डर कम्पनियों ने भी तो नियमों को ताक पर रख अधिग्रहित जमीन पर समय से अधिक देरी की निर्माण कार्य आरंभ करने में , जमीन की खुदाई करके मिट्टी को बेच खुली छोड़ दिया , कोई तारबंदी नहीं की गई  और कम संख्या में गार्ड रख  पूरी सुरक्षा किये जाने का दावा कर गुमराह किया प्रशासन को  बल्कि अब ऐसी ततपरता दिखा रहा है ट्रेक्टर इंजन से जमा हुए पानी को इधर से उधर करके  मानों उधर मर सकते हैं इधर नहीं , इनसे कोई सवाल करे की इस बना दिए गए जोहड़ से दूसरे जोहड़ में पानी स्थानांतरित करने से मौतें नहीं होंगी इसका क्या अर्थ है ?

 प्रशासनिक अधिकारियों ने भी नियम कायदों की पालना ठीक से हो रही है बताकर सरकार को भी गुमराह किए रखा  नहीं कराया अवगत वास्तविक स्थितियों से कि यह क्षेत्र रेजिडेंशल एरिया नहीं हो सकता है , यह भूमि दलदली है , खारे पानी से निर्मित भवन निर्माण लोगों के लिए सही नहीं हैं  किसी भी तरीके से !

इधर अपने निकम्में अधिकारियों के द्वारा भृमित इन सरकारों ने भी बगैर सोचे समझे इस क्षेत्र को रेजिडेंशल जोन घोषित कर दिया ताकि सीएलयू आवंटन जैसे अहम कार्य में वह पीछे ना रह जाएं - अब आप बताएं कि क्या यह देश की जनता को गुमराह करना नहीं कहलाएगा  और क्या इन्हें इस दुखद हादसे के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए ?

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