इसीलिए बंगाली भाषा में बोलते है " आसछे बोछोर आबार होबे"

 


आज 05 अक्टूबर को देशभर में विजयादशमी और दशहरा का त्योहार हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है ।  यह असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। फरीदाबाद कालीबाड़ी सेक्टर 16 में भी माँ दुर्गा पूजा की पांच दिवसीय उत्सव बड़े धूम धाम और उत्साह के साथ मनाया गया।  वैसे तो 25 सितम्बर महालया के दिन पितृ पक्ष के समापन एवं देवी पक्ष की शुरुआत से ही कालीबाड़ी मंदिर में उत्सव का माहौल था , 30 सितम्बर महा पंचमी के दिन माँ दुर्गा के आह्वान, आमंत्रण, बोधन के साथ 01 अक्टूबर महा षष्टी के दिवस माता का कैलाश से धरती पर आगमन हुआ था एवं 04 अक्टूबर नवमी के दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर राक्षश का वध करके अशुभ शक्तियों के ऊपर शुभ शक्तियों अथवा बुराई के ऊपर भलाई के विजय का वार्ता समस्त धरती वासियों को दिया ।

 आज दशमी 05 अक्टूबर को माँ दुर्गा पुनः कैलाश पर्वत लौट जाएगी एवं फिर एक वर्ष बाद इसी तरह से हमारे बिच आएँगी ।  फरीदाबाद कालीबाड़ी इसी परंपरा को मानते हुए आज महिलाएं माता रानी को पान पत्ते के साथ वरन करती हैं और भरी मन से माता को विदाई देती है। महिलाएं आपस में एक दूसरे को सिन्दूर लगाकर अपने आत्मीयता एवं एकता का परिचय देती है ।   मूर्ति विषर्जन के पश्चात ही समस्त समाज एक दूसरे को शुभ विजय दसमी की शुभकामनायें देते हैं।  

फरीदाबाद कालीबाड़ी सेक्टर 16 में पंचमी 30 सितम्बर से लेकर नवमी ०४ अक्टूबर तक बहुत सारे रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए और लोगों ने भरी संख्या में इसमें भाग लिए एवं माता रानी की आशीर्वाद से लाभान्वित हुए ।   

 माता के बिदाई के समय समस्त बंगाली समाज उसी तरह से दुखी हो जाती है जैसे एक वर्ष बाद बेटी अपने मायके आने के बाद कुछ दिन रह कर फिर अपने घर वापस जाती है।  इसीलिए बंगाली भाषा में बोलते है " आसछे बोछोर आबार  होबे"  मतलब "अगले वर्ष फिर से होगी" ।  इसी तरह से प्रत्येक वर्ष दुर्गा पूजा हमारे जीवन में सुख, समृद्धि, शांति, परस्पर भाईचारा, एकता एवं अशुभ शक्तियों के विनाश का सन्देश दे कर जाती है ।

Post a Comment

0 Comments