सावित्री बाई फुले के जन्मदिवस को महिला शिक्षिका दिवस घोषित करने की मांग
-गुरुग्राम सैनी युवा जागृति मंच की ओर से मनाई गई सावित्री बाई फुले की जयंती
गुरुग्राम। गुरुग्राम सैनी युवा जागृति मंच की ओर से नारी मुक्ति आंदोलन की अगुवा और प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले की जयंती धूमधाम से मनाई। इस दौरान महिलाओं को समाज में अहम स्थान दिलाने के साथ-साथ शिक्षा की अलख जगाने वाली सावित्री बाई फुले के जन्मदिवस को महिला शिक्षिका दिवस घोषित करने की मांग की गई। इसी मांग को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट दर्शन यादव को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। गुरुग्राम सैनी युवा जागृति मंच के ओर से दिये गए ज्ञापन में कहा गया।
गुरुग्राम सैनी युवा जगृति मंच संस्था के संरक्षक सूबे सिंह सैनी, बुद्धराम सैनी, नरेश सैनी, महेंद्र सिंह लीलू प्रधान समाज उत्थान न्यास (सन फाउंडेशन), तेजिंदर सैनी प्रधान सैनी सभा जैकमपुरा, संस्था के कानूनी सलाहकार एडवोकेट मुकेश सैनी, गौतम भाई, महेंद्र सैनी, हितेश और गगनदीप समेत समाज के अनेक लोगों ने सावित्री बाई फुले को नमन किया। सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया कि 19वीं सदी तक नारी केवल एक भोग की वस्तु थी। नारी महागुलाम बनकर सामाजिक व्यवस्था की चक्की में पिसती रही। अज्ञानता के अंधकार, कर्मकांड, वर्णवाद, जातिवाद, बाल विवाह, विधवा विवाह न होना, मुंडन एवं सती प्रथा आदि कुप्रथाओं में नारी जाति जकड़ी हुई थी। उस समय नारी को विद्या ग्रहण कराने का अधिकार नहीं था। प्रचलित धारणा के अनुसार अगर नारी को शिक्षा मिल जाएगी तो वह कुमार्ग पर चलेगी। जिससे घर का सुख-चैन सब नष्ट हो जाएगा। उसी समय महात्मा ज्योतिराव फुले ने समाज में फैली रूढि़वादी और गैर मानवतावादी परंपराओं से लड़ते हुए कन्या विद्यालय खोले और नारी शक्ति को शिक्षित करने के लिए पहले प्रयास में अपनी धर्मपत्नी सावित्री बाई फुले पढ़ाया। उसके बाद सावित्री बाई की मदद से स्त्री शिक्षा का सूत्रपात हुआ। वहीं सावित्री बाई फुले ने पहली भारतीय महिला अध्यापिका बनने का गौरव हासिल किया।
ज्ञापन में कहा गया है कि भारतीय नारी की शिक्षा एवं चेतना को एक दिशा देने एवं जागरुकता पैदा करने में पहला और बुनियादी काम उनका ही था। अगर आज संपूणज़् भारतवषज़् में महिला सशक्तिकरण, नारी शिक्षा एवं नारी सम्मान की बात हो रही है तो उसका सारा श्रेय सावित्री बाई फुले व उनकी कड़ी मेहनत को जाता है। उनका स्त्री हक, नारी शिक्षा एवं मानवतावाद के लिए विषय एवं विपरीत परिस्थितियों में दिया गया योगदान आने वाली पीढिय़ां सदा याद रखेंगी। हर महिला उनके इस योगदान को अपने जहन में संभाले। साथ ही सरकार सावित्री बाई फुले के जन्मदिवस तीन जनवरी को महिला शिक्षिका दिवस घोषित करे। यह महिलाओं को आगे बढऩे में प्रेरणादायी होगा।
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