गुरुग्राम : इस बार सिक्खों के दसवें गुरू श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की 356वी जयंती 2022 में 29 दिसंबर को गुरुवार के दिन मनाई है। हालंकि कुछ सिक्ख संगठनों के अनुसार गुरूजी का प्रकाश पर्व मूल नानकशाही कैलेंडर के तहत 05 जनवरी 2023 को मनाएंगे। त्याग, वीरता और बलिदान के प्रतीक गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाशपूर्व को सिख समुदाय सहित दूसरे धर्मों में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
गुरुग्राम के समाजसेवी गुरिंदरजीत सिंह (अर्जून नगर) ने देशवासियों को दशम गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाशपूर्व की बेअंत बेअंत बधाई दी। उन्होंने कहा कि मानवता और धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने अपने परिवार समेत स्वयं का भी बलिदान दे दिया था। इसलिए उन्हें “सरबंसदानी” भी कहा जाता है। इसके अलावा उन्हें बाजावाले, कलगीधर और दशमेश आदि नामों से ही जाना जाता है।
सरदार गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि खालसा पंथ के संस्थापक और सिक्खों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती प्रत्येक वर्ष नानकशाही कैलेंडर के अनुसार पोह की 23 तारीख को मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार गुरुजी का प्रकाश 22 दिसंबर 1666 (कैलेंडर नानकशाही के अनुसार पोह सुदी 7वीं, 23 पोह की तारीख) को हुआ था, इसलिए कुछ लोग इस दिन भी उनके प्रकाश पूर्व को मनाते है। गुरूजी के प्रकाशपूर्व को सिख समुदाय में काफी धूमधाम से मनाया जाता है, इस मौके पर गुरू ग्रन्थ साहिब का पाठ, अरदास और गुरुद्वारों में मत्था टेका जाता है। इसके आलावा गुरूजी के प्रकाश उत्सव पर कीर्तन और सुबह-सवेरे प्रभात फेरीयों का आयोजन किया जाता है।
साथ ही प्रकाश पर्व के दिन लंगर आदि भी लगाएं जाते हैं। और खालसा पंथ की झांकियां निकाली जाती हैं, तथा गुरुद्वारों में सेवा और घरों में कीर्तन भी करवाए जाते हैं।
सरदार गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि हमें गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए और जात पात को खत्म कर आपस में एक दूसरे के साथ प्यार से रहना चाहिए। जुल्म के खिलाफ़ आवाज उठानी चाहिए। गरीबों और मजलूमों की सहायता करनी चाहिए। नशे का त्याग करना चाहिए। स्त्री का सम्मान करना चाहिए। शिक्षित होना चाहिए। सभी धर्मो का सम्मान करना चाहिए। मानव कल्याण के लिए कार्य करने चाहिए।
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