शेर की खोह से निकला एक टाइगर जो यह अहसास दिलाता हैं कि टाइगर अभी जिंदा हैं

शेर की खोह से निकला एक टाइगर जो यह अहसास दिलाता हैं कि टाइगर अभी जिंदा हैं, मौका मिलने पर शेर को ललकार करते हैं



लगा तार तीन बार बार एसोसिएशन के प्रधान और रेवाड़ी से दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके है सतीश प्रधान


रेवाड़ी,पवन कुमार:  रेवाड़ी जिले से चुनाव लड़ चुके और निकट भविष्य में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को जनता से रूबरू कराने के लिए हर दिन हम किसी ना किसी नेता को अपनी कलम कि कसोटी पर रख कर रूबरू कराते है, हम बिना किसी पक्षपात के निडरता से सच से अवगत कराते है I इसी अभियान के अंतर्गत आज हम रेवाड़ी वासियों को पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव से अवगत कराते हैं I एडवोकेट श्री रोशन लाल यादव के पुत्र सतीश यादव ने अहीर कॉलेज से ग्रेजुएशन की,अपने शब्दों को जोश और विश्वास के साथ बोलते हैं जिस कारण रामपुरा हाउस ने उनको लपक लिया,यह सोचकर की हमारी राजनीति में यह प्यादा काम आयेगा I रामपुरा हाउस को ऐसे ही व्यक्ति कि तलाश थी जो शहर में रामपुरा हाउस के कद को बड़ा कर सके और सतीश यादव उसमें खरे उतरे I सतीश ने पहले कुछ सालों तक इंडियन गैस एजेंसी संभाली फिर उसके बाद लखनऊ से एलएलबी की I 2002 में एलएलबी करने के बाद बार एसोसिएशन में रजिस्ट्रेशन कराया,अभी रजिस्ट्रेशन कराए कुछ ही दिन हुए थे कि जिला बार एसोसिएशन के चुनाव आ गये, इसे किस्मत कहे या प्रयास  पहली बारी में ही वे जिला बार एसोसिएशन के प्रधान बने I उस समय एक एक जज रेवाड़ी थे, जो वकीलों से यह कहते की मामला जल्दी निपटाओ, इतना ही नहीं वह यहां तक कहते कि व्यक्ति अपना मुकदमा खुद लड़ सकता हैं I 

वह जज ना केवल बार के लिए परेशानी खड़ी करते थे बल्कि सरकारी अधिकारी और कर्मचारी तक भी उनसे परेशान थे, वैसे तो श्री जज जनता के हित में थे पर वह किसी को रास नहीं आ रहे थे I उस समय सतीश यादव ही बार एसोसिएशन के प्रधान थे और उनके राजनैतिक प्रयासों से ही श्री ढोचक का रेवाड़ी से तबादला हुआ और बार के लिए एक स्थम्ब बने I बस फिर क्या था सतीश यादव की जगह सतीश प्रधान बन गए I वह बार एसोसिएशन के लगातार तीन बार प्रधान बने I यहीं से उनमें आत्मविश्वास पैदा हुआ, जिसका प्रभाव आज भी जिला बार को प्रभावित करता है I इसके बाद 2005 में उन्होंने जिला परिषद् का चुनाव लडा और मास्टर विजेंद्र भटोडिया को हरा का जिला पार्षद बने I फिर जिला प्रमुख बने I आए दिन सतीश प्रधान का राजनैतिक कद भी बढ़ने लगा, इसी दौरान उनके नजदीक प्रोपर्टी डीलर अपना काम करवाने के लिए आने लगे, सतीश प्रधान का उनको समर्थन मिला और प्रोपर्टी डीलरों का सतीश प्रधान का I सतीश प्रधान कि यह खासियत रही है कि वह किसी की बात सुनकर  तुरंत फोन करने में नही हिचकिचाते और अधिकांश के काम हो भी जाते और अगर नही भी होते तो भी लोगो को यह विश्वास होने लगा कि कम से कम प्रयास तो किया है I 

हर व्यक्ति जरूरी नही कि वह दूसरों के अनुसार चले,ऐसे में अफ़वा उड़नी स्वाभाविक है और छवि खराब करने की कोशिश की जाती है I जिला प्रमुख रहते हुए इन्होने अपने दायरे को बढ़ाया I 2009 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में राव इंद्रजीत और सतीश के बीच अच्छा तालमेल था,सतीश प्रधान ने पहली बार रेवाड़ी विधान सभा का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 2009 में लड़ा I इस चुनाव में गरीबी तबका अधिकांश सतीश प्रधान के साथ था I यह विधान सभा चुनाव मुख्यत: तीन उम्मीदवारों के बीच था रणधीर कापड़ीवास, कप्तान अजय यादव और सतीश प्रधान के बीच था, जिसमें में सतीश प्रधान दूसरे नंबर पर रहे और कप्तान अजय यादव से कुछ ही वोटों से हार गए I इस चुनाव सतीश के लगभग 35000+ वोट हासिल किये I 

इसके बाद 2014 में रेवाड़ी विधानसभा सीट से इनेलो उमीदवार के रूप में चुनाव लड़े और पहले से ज्यादा वोट आने के बाद मोदी लहर के कारण कापड़ीवास से हर गए, कप्तान अजय यादव तीसरे नंबर पर रहे, इस बार सतीश को राव इंद्रजीत का साथ नहीं मिला क्योंकि इंद्रजीत भाजपा में थे और भाजपा उम्मीदवार रणधीर कापड़ीवास थे I हमने बच्चपन में एक कहानी सुनी थी कि एक दिन खूब बारिश हो रही थी I मियां-बीबी घर में थे, बारिश के कारण मकान कि छत कई जगह से टपक रही थी, घर के बाहर बारिश से बचने के लिए एक शेर दीवार की ओट में खड़ा था,आखिर परेशान होकर मियां के मुंह से निकल गया कि मुझे जितना डर शेर से नही लगता, जितना टपकले से लगता है,शेर ने जब यह बात सुनी तो वह डरकर भाग गया I सतीश प्रधान को लेकर शहर वासियों के बीच भी टपकले वाला डर पैदा करने का प्रयास चुनाव के दिनों में किया जाता रहा हैं,जिस करण चुनाव में उन्हें कुछ नुकसान तो होता ही है I इसके बाद 2019 में पहले लोकसभा चुनाव आये , जिसमें गुरुग्राम लोकसभा सीट से राव इंद्रजीत चुनाव लड़ रहे थे I  

2009 में वे राव इंद्रजीत से कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया था पर अब 2019 के विधानसभा लड़ने कि बात आई तो पहले जे जे पी में शामिल हुए फिर कुछ महीने बाद ही भाजपा में टिकट मिलने की आस में शामिल हो गये I लेकिन राव इंद्रजीत ने टिकट दिलवाई सुनिल मूसेपर को, जिस करण राव इंद्रजीत और सतीश प्रधान के बीच खटास आ गई, पर इतना समय नहीं था कि वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और खुलकर ना सही अंदरखाने भाजपा से टिकट ना मिलने वाले निर्दलीय उम्मीदवार रणधीर कापड़ीवास को अपना समर्थन दे दिया I 

रणधीर कापड़ीवास बेशक चुनाव ना जीते हो पर सुनील मूसेपुर को हरवा गए I इसके बाद नगर पार्षद व नगरपरिषद चेयरमैन पद का चुनाव आया I सतीश प्रधान ने अपनी पत्नी उपमा यादव को चेयरमैन पद के लिए उतारा और उपमा यादव भाजपा उम्मीदवार पूनम यादव से कुछ ही वोटों से हार गई I इसमें उपमा के 25000 से अधिक वोट आये I इस बार बड़े भाई का फर्ज निभाते हुए रणधीर कापड़ी वास ने भी सतीश प्रधान का पूरा साथ दिया I यह तो था जो बीत चुका,अब बात करते है 2024 के विधान सभा चुनाव की I सतीश प्रधान का 2024 का विधानसभा चुनाव लड़ना लगभग तय है क्योंकि नगर परिषद के चैयरमैन पद के चुनाव में उन्होंने दिखा दिया कि टाइगर अभी जिंदा है, लेकिन कैसे लडेगे,किस पार्टी से लड़ेंगे, यह अभी भविष्य के गर्भ में है I



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