जीव जगत के सुख, शांति, समृद्धि के लिए देश भर में अधिक से अधिक "श्रीअग्र-भागवत" कथाओं का आयोजन करें अग्र-बंधू - गोपाल शरण गर्ग
गुरुगुरुग्रा। वैश्य समाज (रजि.) सैक्टर 4-7 गुरुग्राम द्वारा वैश्य धर्मशाला सेक्टर-4 के सभागार में चल रही भागवान अग्रसेन जी के प्रेरणादयी जीवन चरित्र पर आधारित तीन दिवसीय श्रीअग्र-भागवत कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ पर विराजमान महामण्ङलेश्वर एवं श्रीअग्र-भागवत पुराण मर्मज्ञ पूज्य आचार्य नर्मदा शंकर गुरूजी द्वारा भगवान अग्रसेन जी संग माँ माधवी जी के विवाह का बङा ही मार्मिक वर्णन संगीतमय रूप से किया गया, इस तीन दिवसीय कथा में गुरूजी द्वारा भगवान अग्रसेन जी सम्पूर्ण जीवन के प्रेरणादायी सिद्धांतों एवं आदर्शों के जन-जन को दर्शन कराएं। गुरूजी ने बताया कि अग्रसेन जी ने अपने राज्य में पशु बलि पर रोक लगा कर समाज को अहिंसा का संदेश दिया, उन्होंने किसानों के कल्याण के लिए नहर व्यवस्था विकसित की, एक पत्नी प्रथा अपना कर एक आदर्श समाज के सामने प्रस्तुत किया, उन्होंने आज से लगभग 5176 साल पहले जो जनकल्याण के काम किए आज की सरकार भी करने का प्रयास कर रही है। वास्तव में भगवान अग्रसेन के आदर्श एवं विचारों को अपना कर ही दुनिया को अन्याय, हिंसा तथा आतंक से मुक्ति मिल सकती है। गुरुग्राम महानगर के दूर-दूर से बहुत से पुरुष-महिलाएं, युवा बंधू एवं वरिष्ठजन भारी संख्या में कथा का श्रवण करने हेतु पहुंचे। यहां यह उल्लेखनीय है कि गुरूग्राम में श्री अग्र-भागवत कथा का यह पहला बङा आयोजन है, और कथा श्रवण करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या से यह प्रतीत होता है कि आगामी समय में संस्कारित समाज के निर्माण में एवं भागवान अग्रसेन जी के गुणगान में ऐसे और अन्य बङे आयोजन भी किए जाऐंगे।
कथा के दूसरे दिन अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय गोपाल शरण गर्ग जी पवित्र पुराण श्री अग्रवाल भागवत कथा का श्रवण करने कथा स्थल पर पहुंचे। उन्होंने व्यासपीठ को प्रणाम कर पूज्य गुरूजी का आशीर्वाद ग्रहण किया, उन्होंने अग्र-भागवत कथा के भव्य आयोजन कर लिए वैश्य समाज रजि. के प्रधान विजय अग्रवाल, चेयरमैन रामबिलास सिंगला, मुख्य सलाहकार एवं गुरुग्राम जिला प्रधान सुंदर दास अग्रवाल, उप-प्रधान रमेश सिंघल, विजेंद्र गोयल, महासचिव नरेश चंद गुप्ता आदि सभी पदाधिकारियों को हार्दिक बधाई दी, उन्होंने कहा कि गुरुग्राम जैसे संपन्न नगर में इस प्रकार के नेक कार्य की शुरुआत करना अत्यंत सराहनीय है मुझे यकीं है कि इस कार्य का अनुशरण करके अन्य बंधू भी अग्र-भागवत कथा का आयोजन अन्य स्थानों पर कराएँगे परिणामस्वरूप अग्रसेन जी के सिद्धांतों से समाज में सुख, शांति, यश, वैभव की प्राप्ति के साथ-साथ गरीब-जरूरतमन्द की सहायता करने की प्रेरणा मिलेगी, पितृ भूमि अग्रोहा के पुनः निर्माण की चेतना जागेगी एवं संस्कारित समाज के निर्माण में बहुत बड़ी मदद मिलेगी।
आगे उन्होंने कहा कि भारत सहित पुरे विश्व में फैले अग्रवाल समाज के 10 करोड़ से अधिक लोगों के आस्था का केंद्र भगवान अग्रसेन जी की कर्मभूमि अग्रोहा है, जिसके पुनः निर्माण में अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन पिछले 48 वर्षो से लगातार प्रयासरत है, इसी कड़ी में सर्वप्रथम अग्रोहा धाम बनाया गया, फिर अग्रोहा शक्तिपीठ का ऐतिहासिक निर्माण किया गया, अब अग्रोहा की पावन धरा पर ही कुलदेवी आद्य महालक्ष्मी एवं अष्टलक्ष्मी जी के 108 फ़ीट ऊंचे विशाल एवं भव्य मंदिर का निर्माण पुरे जोर-शोर से किया जा रहा है, उन्होंने सभी से आग्रह किया कि पितृ भूमि अग्रोहा के निर्माण में सभी अग्र-बंधुयों को अपने-अपने स्तर पर सहयोग एवं योगदान जरूर करना चाहिए, पितरों के स्थान से बड़ा एवं पूज्य स्थान संसार में कोई और नहीं। मुगल काल में अनेकों आक्रमणों और लूट के बाद अग्रोहा अब आकर दोबारा अपने अस्तित्व में लौटने की और अग्रसर है। यहां रात दिन जारी रहने वाली माधवी रसोई में जहां प्रतिदिन हजारो लोगो के अल्पाहार और भोजन की व्यवस्था की जा रही है, वही पितॄ दोष निवारण हेतु देश की 118 पवित्र स्थलों से जल लाकर अग्र-सरोवर का निर्माण किया गया है, जिसमें प्रकाण्ङ पण्ङितो द्वारा सभी कर्म काण्ङ और संस्कार कराऐ जाते है, ऐसी धारणा है कि इस सरोवर में स्नान उपरान्त गया जी जैसा तर्पण पितरों को स्वतः हो जाता है। श्री गर्ग ने बताया कि अग्र समाज के शहीदो और बलिदानियो की जहां 58 मूर्तियों को अग्रोहा शक्तिपीठ परिसर में लगाया गया है वही परिसर में अग्र म्यूजियम में देश के दिवंगत और वर्तमान अग्र गौरव को सूचीबद्ध कर समाज को सन्देश दिया गया है।
अग्रवाल सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल शरण गर्ग ने कहां कि जब मुगलों का शासन था तब लोग अपनी अस्मत की रक्षा हेतु रात की शादियां और सुबह सवेरे विदाई करते थे, अब देश गुलाम नही विकासशील है और भयमुक्त समाज है, जिसके लिए दिन में शादी और शाम को विदाई करने की अपनी सनातनी परंपरा को अपनाना चाहिए उन्होंने मंच से सभी बंधुयों से आह्वान किया कि शादियां रात में नही दिन में करेंगे, वर्षो से चली आ रही औरंगजेब की गुलामियत की निशानी को बन्द करेंगे तथा हर शुभ कार्य में अपने पितृ भगवान अग्रसेन जी की मिलनी लिया जाना और उसको जरूरतमंद के भोजन हेतु अग्रोहा शक्तिपीठ भेजा जाना, समय की नही हर अग्र समाज के गौरव की बात है। अग्र भागवत जैसे आयोजनों के सन्दर्भ में उन्होने कहा कि भावी पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास के बारे में जानने हेतु ऐसे आयोजन आवश्यक है। आयोजन स्थल पर केनविन फाउण्डेशन के संस्थापक एवं प्रमुख समाजसेवी ङी.पी. गोयल ने पितृ भूमि अग्रोहा में अपनी आस्था एवं भक्ति व्यक्त करते हुए अग्रोहा शक्तिपीठ में निर्माणाधीन महालक्ष्मी मंदिर निर्माण में अपना एवं अपने परिवार का सहयोग करते हुए संस्था का 11 लाख रुपए का संरक्षक ट्रस्टी बनने कि घोषणा की, जिसपर संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल शरण गर्ग ने अंगवस्त्र पहनाकर और सम्मान चिन्ह देकर उनको सम्मानित किया और कहा की डीपी गोयल एवं नवीन गोयल जैसे युवा देश के अन्य युवाओं के लिए एक प्रेरणादायी मार्ग स्थापित कर रहे है जिससे देश के युवाओं के मन में भी अपने पितृ स्थान अग्रोहा के प्रति आस्था एवं भक्ति उत्पन्न होगी।
इस अवसर पर मुख्य रूप से अग्रवाल सम्मेलन के हरियाणा प्रदेश उपाध्यक्ष गजेंद्र गुप्ता, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं महालक्ष्मी जन आशीर्वाद दक्षिणी रथ यात्रा संयोजक मनोज गोयल गुडयानियां, वैश्य समाज (रजि.) के सलाहकार सूरजभान अग्रवाल, संयुक्त सचिव राजेश अग्रवाल, कोषाध्यक्ष त्रिलोक चंद अग्रवाल, लेखा परीक्षक राम अवतार मित्तल, अरूण अग्रवाल, संवैधानिक लेखा परीक्षक अनिल बंसल, गुरुग्राम महिला जिलाध्यक्षा समता सिंगला, जिला युवा जिलाध्यक्ष राजीव मित्तल, जिला युवा महामंत्री अमित गुप्ता, युवा उपाध्यक्ष प्रिंस मंगला, युवा संगठन मंत्री बी.एल. अग्रवाल, सचिन मित्तल, रवि अग्रवाल, सुरेश अग्रवाल, पी सी जैन, अजय अग्रवाल, मनोज गुप्ता, आदर्श आर्या, प्रज्ञा गोयल एडवोकेट, बबीता गुप्ता, कुसुम अग्रवाल, रमिता जैन, मीनाक्षी गुप्ता, अनुपमा अग्रवाल, कल्पना गुप्ता, वन्दना सिंगला, अलका अग्रवाल आदि अन्य गणमान्य बंधु उपस्थित रहें।।
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