राष्ट्रपति ने किया अखिल भारतीय सशक्त परिवार जागरूक अभियान का शुभारम्भ



9 फरवरी 2023, गुरुग्राम


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत द्वारा ज़ी 20 फोरम का उपयोग महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और विश्व समुदाय में महिलाओं की समावेशी भूमिका को रेखांकित किया जायेगा। भारत  इस समय जी 20 समूह की अध्यक्षता कर रहा है।  ज़ी 20 के एजेंडा में वुमन लेड डवलपमेंट पर प्राथमिकता बनाये रखना शामिल है। मुझे विश्वास है कि भारत द्वारा ज़ी 20 फोरम का उपयोग महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और विश्व समुदाय में महिलाओ की समावेशी भूमिका को रेखांकित किया जायेगा "



यह बात महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने विश्वविख्यात आध्यात्मिक संस्थान ब्रह्माकुमारीज़ के गुरुग्राम स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर में मूल्यनिष्ठ समाज की नींव महिलाएं विषय पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कही। राष्ट्रपति ने दीप प्रज्जवलित कर अभियान का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में चार हजार से अधिक महिलाएं सहित कई देशों के राजदूत और अपने-अपने क्षेत्रों की जानी-मानीं हस्तियां मौजूद रहीं। इस मौके पर उन्होंने संस्थान का पीले और लाल रंग की शिव पताका फहराकर अखिल भारतीय सशक्त परिवार जागरूकता अभियान की शुरुआत की और पताका ब्रह्माकुमारीज़ बहनों के हाथ में थमा दी।



राष्ट्रपति ने संस्थान के मुख्यालय माउंट आबू से पहुंची महिला विंग की मुख्यालय संयोजिका बीके डॉ. सविता दीदी और बीके शारदा दीदी को कलश सौंपा। साथ ही शिव ध्वज फहराकर अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि "आज मुझे एम्पॉवरिंग द फैमिली अभियान का शुभारम्भ करते हुए प्रसन्नता हो रही है। एक माँ का स्वभाव हमेशा समावेशी यानि इन्क्लूसिव होना चाहिए। प्रकृति को भी मदर नेचर कहा जाता है। भारतीय परंपरा में परिवार को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। परिवार ही आदर्श जीवन का आधार है।



राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि अगर हर परिवार एक आदर्श परिवार बन जाये तो समाज का स्वरुप अपने आप बदल जायेगा। समाज को मूल्य आधारित समाज में बदला जा सकता है।  राष्ट्रपति ने कहा कि अच्छा इंसान बनना आज समय की जरूरत है। कितनी भी भौतिक सुख-सुविधाएं, पैसा कमा लें लेकिन यदि जीवन में सुख-शांति, आनंद, प्रेम और पवित्रता नहीं तो सब व्यर्थ है।



राष्ट्रपति ने कहा कि बच्चों की पहली शिक्षक माँ होती है।  इन दिनों माताएं अपने बच्चों को एक आदर्श जीवन के बारे में नहीं बताती हैं।  यह बताना प्राथमिकता है। माताएं बच्चों को बचपन से ही एरिया कॉन्शियस बनाती है। वो चाहती हैं कि बच्चा डॉक्टर इंजीनियर या अधिकारी बने।  लेकिन माताओं को चाहिए कि वो अपने बच्चों को सबसे पहले एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा दे। "बच्चों का डाक्टर, इंजीनियर बनना अच्छी बात है।  लेकिन वो समाज की, देश की सेवा करने के लिए पेशेवर बनें।  धनोपार्जन को ही प्राथमिकता न बनने दें। यह बच्चों को कौन सिखाएगा। माता ही सिखाएगी। मां गुरु भी है, माँ ही सिखा सकती है कि जीवन में बड़ा होना अच्छा है।  लेकिन अच्छा होना उससे भी बड़ी बात है। बच्चों का दिमाग कच्ची मिटटी की तरह और आकारहीन होता है।  माँ चाहे तो बच्चों को दिव्यता दे सकती है।  उनके प्रयासों से परिवार एक आदर्श परिवार हो सकता है। "



मुर्मू ने कहा कि आज प्रतिस्पर्धा का युग है। आज इंसान धन, शक्ति, प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा के पीछे भाग रहा है। आर्थिक रूप से मजबूत होने में कोई बुराई नहीं है लेकिन केवल पैसे के लिए जीने से यह जीवन व्यर्थ हो जाता है।  सिर्फ धन के लिए भागते रहना निरर्थक है। इन्द्रियों का सुख और आंतरिक आनद दोनों समान नहीं होते। आर्थिक प्रगति और भौतिक सम्पन्नता  हमें सुख दे सकती है लेकिन आनंद और शांति नहीं दे सकते। आध्यात्मिक जीवन से दिव्य आनद के द्वार खुलते है ।



राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत की समृद्ध और आध्यात्मिक विरासत में महिलाओ को यथोचित सम्मान और स्थान दिया गया था। हमारे वेदों, महापुराणों और उपनिषदों में महिलाओ की स्तुति करुणा और ज्ञान के स्त्रोतों के रूप में की गयी है। मुर्मू ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान से उनका बेहद करीबी रिश्ता है। 2009  से वो संस्थान जुडी हुई है। उनके मुश्किल दौर में संस्थान की बहनों ने उन्हें  सहारा दिया था। "ब्रह्माकुमारीज़ को करीब से जानती हूँ। मैं इसे अपना घर समझती हूँ।  यह मेरे बाबा का घर है।  ब्रह्माकुमारीज़  संस्थान  ने भारतीय मूल्यों को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है। संस्थान  नारी शक्ति द्वारा संचालित विश्व का सबसे बड़ा संस्थान है।  90 साल पहले संस्थान के संस्थापक ब्रह्मा बाबा ने नारी शक्ति और उनके नेतृत्व को उचित प्रतिनिधित्व दिया था। आज संस्थान की चालीस हज़ार बहनें दुनिया के 140 देशो में अध्यात्म और भारतीय संस्कृति और परम्परा को आगे बढ़ा रहे है।  


आज हम दुनिया में पांचवीं पोज़िशन पर आ गए है। लेकिन सामाजिक और आर्थिक उत्थान  काफी नहीं है।  शरीर को चलाने के लिए आत्मा का विकास जरुरी है।  आत्मा को प्रज्वलित करने के लिए भगवान ने शक्ति मनुष्य आत्मा के ही अंदर दी है। 



भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था है।  इसके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है कि महिलाओं को भागीदारी मिले। बच्चों और घर को सँभालने की जिम्मेदारी क्या सिर्फ महिलाओं की है। हमें  इस सोच को बदलने की जरूरत है।  उन्हें परिवार से और अधिक सहयोग की जरूरत है।  जिससे वो बिना किसी बाधा के अपने करियर के शिखर पर पहुँच सके।


- हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी कार्यक्रम में मौजूद थे।  सम्मेलन में चार हजार से अधिक महिलाओं सहित कई देशों के राजदूत भी रहे मौजूद। इससे पहले मुर्मू ने ओम शांति रिट्रीट सेंटर के पिरामिड एवं मेडिटेशन रूम में जाकर ध्यान किया। साथ ही कल्प तरुह अभियान के तहत वृक्षारोपण किया। 


हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि भारत की संस्कृति और सभ्यता को दुनियाभर में फैलाने में ब्रह्माकुमारीज संस्थान का बड़ा योगदान है। समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना में महिलाओं की भूमिका अहम है। नारियों की प्रशंसा हमारे धर्मग्रंथों में भी की गई है। हमारी राष्ट्रपति भी आदर्शों की प्रतिमूर्ति हैं। आपका जीवन तपस्यामय है। आज महिलाओं को शिक्षित और स्वावलंबी होने की आवश्यकता है। आज बेटियां सेना से लेकर हर क्षेत्र में अपनी प्रतिक्षा दिखा रही हैं। हम कितना भी पैसा कमा लें यदि मन शांत नहीं है तो ऐसा व्यक्ति सदाचारी नहीं बन सकता है। ब्रह्माकुमारी समाज ऐसी नारियों को तैयार करके विश्व में शांति फैलाने में लगा हुआ है।


बीके शिवानी दीदी ने कराया मेडिटेशन-


प्रेरक वक्ता बीके शिवानी दीदी ने मेडिटेशन का अभ्यास कराते हुए कहा कि रोज अभ्यास करें कि मैं सर्वशक्तिमान परमात्मा की संतान एक शक्तिशाली आत्मा हूं। मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूं। मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं। मैं स्वर्णिम भारत और स्वर्णिम दुनिया का निर्माण करने वाली मैं आत्मा शिव की शक्ति हूं, मैं शिव की शक्ति हूं।


इन्होंने भी व्यक्त किए विचार-- न्यूयार्क से पधारीं संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका और ब्रह्माकुमारीज का यूएनओ में प्रतिनिधित्व करने वालीं बीके मोहिनी दीदी ने कहा कि 1982 में यूनाइटेड नेशन में संस्थान को शांति के लिए कार्य करने पर आमंत्रित किया गया। शांति और युद्ध दोनों तरह के विचार मन में ही आते हैं। हमारी मनोवस्था ही तय करती है कि हम कैसा निर्णय लेते हैं।


- संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने कहा कि भगवान महिलाओं के द्वारा भारत और पूरे विश्व को पुन: शक्तिशाली, संपन्न और स्वर्णिम भारत बनाने के लिए  उनके सिर पर कलश रखा है। 


 



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