युवा शक्ति राष्ट्र शक्ति में निहित है असीम संभावनाएं: अमन कुमार।

युवा शक्ति राष्ट्र शक्ति में निहित है असीम संभावनाएं: अमन कुमार।



बागपत। किसी भी देश अथवा समाज के आधार, युवा होते है। वहीं युवा जो परिवर्तन के वाहक बन देश और समाज के नए शिखर पर ले जाते है। इतिहास भी सभी युगांतरकारी सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक बदलावों के लिए युग के युवाओं को श्रेय देता है। इसके अनेकों उदाहरण हम साहित्य के माध्यम से आर्यावर्त की यात्रा में देख सकते है। युवाओं के समृद्ध इतिहास में हम आदिगुरु शंकराचार्य से लेकर शांति के प्रतीक गौतम बुद्धि और महावीर स्वामी के भी दर्शन करते है जिन्होंने अपनी युवावस्था में ही समाज सुधार और विश्व कल्याण का बीड़ा उठाया था। पुनर्जागरण काल में राजा राममोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती के साथ विवेकानंद जैसे युवा विचारक ने धर्म और समाज सुधार आंदोलन का नेतृत्व किया। 


वहीं जब जब महान विचारकों ने राष्ट्र के कल्याण हेतु कोई कार्ययोजना बनाई तो उसके वाहक युवा बने जिसके सैकड़ों उदहारण हम आजादी की लड़ाई में देख सकते है। राष्ट्र में कई परिवर्तन, विकास, समृद्धि और सम्मान लाने में युवा सक्रिय रूप से शामिल हुए हैं। उस समय भी विश्व ने युवाओं की शक्ति का प्रभाव देखा और युवा शक्ति को राष्ट्र शक्ति के पर्यायवाची से अलंकृत किया।


लेकिन हम आज इस विषय पर बात कर रहे है क्योंकि आज इसकी प्रासंगिकता के अनुसार यह आवश्यक है। वर्तमान भारत दुनिया का सबसे युवा देश होने का गौरव रखता है। यानि इतिहास की दृष्टि से युवा शक्ति को परिभाषित करे तो हम उस सुनहरे दौर के करीब है जहां भारत पुन: विश्वगुरु बन विश्व को सार्वभौमिक कल्याण और मानव उत्थान की राह दिखाकर अध्यात्म की ओर ले जाने में सक्षम है। यही कारण है कि भारत को दुनिया भर में उम्मीद की नजरों से देखा जा रहा है और इक्कीसवीं सदी की महाशक्ति होने की भविष्यवाणी की जा रही है।


लेकिन इस पर भी पुनर्विचार की आवश्यकता है कि बिना खनिज संसाधन के तो किसी देश का विकास हो सकता है, लेकिन बिना मानव संसाधन के देश के विकास के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण जापान के रूप में विश्व देख रहा है जिसने खनिज संसाधनों के अभाव के बावजूद अपने मानव संसाधन के दम पर विकास की इबारत लिखी और आज दुनिया की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। अगर शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कौशल विकास में निवेश करके मानव संसाधन को मानव पूंजी में तब्दील कर दिया जाए तो निश्चय ही भविष्य में इसका बेहतर प्रतिफल मिलेगा।


*कौन सा युवा देश बदलेगा?*


लेकिन सवाल है कि वह कौन-सा युवा है जो देश बदलेगा? क्या वह जो रोजगार के लिए दर-दर भटक रहा है? यह वह, जिसकी प्रतिभा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है? या जो वंशवाद का मुखौटा ओढ़ कर खुद को एक विकल्प के रूप में प्रस्तुत करता है? क्या वे युवा जो देश में अपनी प्रतिभा को उचित सम्मान न मिलने पर विदेशी कंपनियों में नौकरी कर देश छोड़कर चले जाने के लिए विवश हैं? या जिनके हाथों में डिग्रियां तो हैं, लेकिन विषय से संबंधित व्यावहारिक ज्ञान का सर्वथा अभाव है? वे साक्षर तो हैं शिक्षित नहीं। 


आज बहुत से ऐसे विकसित और विकासशील राष्ट्र हैं, जहां नौजवान ऊर्जा व्यर्थ हो रही है। कई देशों में शिक्षा के लिए जरूरी आधारभूत संरचना की कमी है तो कहीं प्रच्छन्न बेरोजगारी जैसे हालात हैं। इन स्थितियों के बावजूद युवाओें को एक उन्नत और आदर्श जीवन की ओर अग्रसर करना वर्तमान की सबसे बड़ी जरूरत है। यह सच है कि जितना योगदान देश की प्रगति में कल-कारखानों, कृषि, विज्ञान और तकनीक का है, उससे बड़ा और महत्त्वपूर्ण योगदान स्वस्थ और शक्तिशाली युवाओं का होता है। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ युवाओं से ही मिलती है राष्ट्र को मजबूती।


ऐसे में जरूरत इस बात की है कि हम युवाओं को सशक्त बनाएं, ताकि वे शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, कौशल विकास, सामुदायिक संपर्क, राजनीति और प्रशासन में अपनी भागीदारी बढ़ाकर समाज में उचित स्थान पा सकें। भारतीय लोकतंत्र का भविष्य भी युवा कंधों पर ही है। परिवर्तन का दूसरा नाम युवा है और युवा शक्ति जिस ओर चलती है, जमाना समाज उसी ओर चल पड़ता है। बहरहाल, बरसों से विकास के प्रयासों के बावजूद युवा शक्ति आज भी तरक्की की दौड़ में काफी चुनौतियां झेल रही है। फिर चाहे शिक्षा हो, रोजगार हो या स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां। इसलिए नया भारत निर्मित करते हुए हमें अब युवा पीढ़ी के सपनों को टूटते-बिखरते हुए नहीं रहने देना चाहिए।


बल्कि देश निर्माण में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। दरअसल, युवा अपनी जिम्मेदारियों को समझने लगे हैं। कुछ अपवाद हो सकते हैं, लेकिन उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है। हम अपने ही मुल्क को देखें तो आजादी के बाद अब तक पचहत्तर सालों में कई बड़े परिवर्तनों के गवाह बने हैं। राजनीति हो या समाज, अर्थव्यवस्था हो या फिर संस्कृति, कोई भी समय की गति से प्रभावित हुए बिना नहीं रहा है और इसमें सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका अगर किसी की रही है तो वह है युवा।


भारत में युवाओं को अगर सही दिशा में प्रशिक्षित किया जाए और वे अपना योगदान सही दिशा में दें तो भारत संपूर्ण विश्व में सबसे उच्च कोटि का बन जाएगा। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में जाएं तो यह पता चलता है कि हमारे राष्ट्र के लिए कई परिवर्तन, विकास, समृद्धि और सम्मान दिलाने में युवाओं की भागीदारी और सक्रियता उच्च कोटि की रही है। समाज में व्याप्त कई समस्याओं पर कार्य करके युवा दूसरों के लिए एक आदर्श बन सकते हैं।


युवावस्था जीवन की वह अवधि है, जो शक्ति और क्षमता के साथ आगे बढ़ती है। किसी भी समस्या का समाधान युवा सकारात्मकता से हल करना जानता है। जाहिर है, किसी भी देश के युवा उस देश का भविष्य होते हैं और उस देश की प्रगति और विकास में उनकी प्रमुख भूमिका होती है। समाज को बेहतर बनाने और राष्ट्र निर्माण के कार्यों में युवाओं को सम्मिलित करना अति महत्त्वपूर्ण है।


*लेखक के बारे में:*


अमन कुमार एक जागरूक युवा है जो युवा शक्ति की संभावनाओं में विश्वास रखता है। उड़ान युवा मंडल ट्यौढी के अध्यक्ष के रूप में उनके द्वारा विभिन्न सराहनीय कार्य किए जा रहे है जिसके लिए उनको इंडियन अचीवर्स फोरम ऑफ एक्सीलेंस रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया है।

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