प्राइवेट स्कूल में अब किताब, कॉपी व ड्रेस की आड़ में हो रही है लूट

 अब किताब, कॉपी व ड्रेस की आड़ में हो रही है लूट,

₹20 की कॉपी स्कूल का नाम लिखने पर हो जाती है ₹60 की,

इस बारे में मंच द्वारा की शिकायत पर चेयरमैन 

एफएफआरसी व डीईआ ने नहीं की कोई कार्रवाई 



नए शिक्षा सत्र में स्कूल प्रबंधकों ने शिक्षा निदेशक की मंजूरी के बिना ही  ट्यूशन फीस व अपनी मर्जी से बनाए गए गैरकानूनी फडों में काफी बढ़ोतरी कर दी है। इससे अभिभावक खासे परेशान हैं अब स्कूल संचालकों द्वारा एनसीईआरटी की किताबों की जगह प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबों को खरीदवाने से उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है। अभिभावकों का कहना है कि जब पेपर एनसीईआरटी की किताबों के सिलेबस के आधार पर  आता है तो फिर स्कूलों में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें क्यों लगाई जा रही है। वैसे भी प्राइवेट प्रकाशकों की किताबों की कीमत एनसीईआरटी की किताबों से काफी ज्यादा है। अभिभावकों का यह भी आरोप है कि जो कॉपी बाजार में ₹20 की मिल रही है स्कूल वाले उसके कवर पेज पर अपने स्कूल का नाम लिखकर उसे ₹60 में बेच रहे हैं। नए छात्र पुराने छात्रों से किताब से पढ़ाई ना कर सकें इसके लिए पुरानी किताबों  के एक दो पाठ्यक्रम को बदल दिया गया है। यानी स्कूल संचालक लूटने का हर प्रकार का हथकंडा अपना रहे हैं। हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि स्कूल संचालकों की इस लूट व मनमानी की शिकायत मंच की ओर से 23 मार्च को चेयरमैन फीस एंड फंडस रेगुलेटरी कमेटी (एफएफआरसी) कम मंडल कमिश्नर को पत्र लिखकर की गई थी जिसकी प्रति जिला शिक्षा अधिकारी को भी उचित कार्रवाई हेतु भेजी गई थी। लेकिन दोनों अधिकारियों ने अभी तक मंच की शिकायत पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है।



 इससे स्कूल संचालकों के हौसले बुलंद हैं। मंच का आरोप है कि बेन होने के बावजूद स्कूलों के अंदर किताब कॉपी वर्दी स्टेशनरी की दुकान खुली हुई हैं जो इन दोनों अधिकारियों को दिखाई नहीं दे रही हैं। इन दुकानों से खुल्लम खुल्ला प्राइवेट प्रकाशकों की किताबों के साथ नर्सरी से पहली कक्षा तक के बच्चों को दो से तीन हजार रुपए, कक्षा दो से पांचवीं तक चार से पांच हजार रुपये, कक्षा नौवीं से 12वीं तक सात से 10 हजार रुपये का सेट बेचा जा रहा है, जबकि बाजार में एनसीईआरटी किताबों के साथ यही सेट 600 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक है। यह खुल्लम-खुल्ला लूट है। कुछ संचालक बाहर बताई गई दुकानों से ही किताब कॉपी खरीदने के लिए अभिभावकों पर दबाव डाल रहे हैं। मंच के लीगल एडवाइजर एडवोकेट बी एस विरदी ने कहा है कि सीबीएसई व शिक्षा निदेशक हरियाणा ने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि स्कूलों के अंदर किताब कॉपी की दुकान ना खुलें,अभिभावक कहीं से भी इनको खरीदने के लिए स्वतंत्र होंगें इसके अलावा नियमानुसार एनसीईआरटी की किताबें ही स्कूलों में लगवाई जाएं और बच्चों के बस्ते का निर्धारित बजन ही रखा जाए। मंच का कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारी अपने ही उच्च अधिकारी के आदेश का  पालन स्कूलों से नहीं करवा पा रही हैं। कार्रवाई के नाम पर चेयरमैन एफएफआरसी  भी मौन साधे हुए हैं। मंच ने मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर चेयरमैन एफएफआरसी व डीईआे की कार्यशैली की शिकायत करके उनके खिलाफ व दोषी स्कूलों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की है।

मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने अभिभावकों से कहा है कि वे नियम के मुताबिक सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें ही खरीदें इसके अलावा कॉपी व स्टेशनरी जहां से भी सस्ती मिलती है वहीं से खरीदें। ऐसा करने पर अगर स्कूल प्रबंधक उन्हें परेशान करते हैं तो वे तुरंत जिला शिक्षा अधिकारी के पास  लिखित में शिकायत दर्ज करें और उसकी एक कॉपी मंच के जिला कोर्ट स्थित जिला कार्यालय में प्रदान करें। जिससे दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई कराई जा सके।

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