भारत में लोकतंत्र कायम है तो राजशाही अंदाज में संसद म्यूट क्यों ? माईकल सैनी (आप)



गुरुग्राम/ आम आदमी पार्टी नेता तरविंदर सैनी (माईकल) ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत जिसकी संसद को ही म्यूट करना पड़ गया भाजपा सरकार को  आखिर ऐसी वजह पेश आ गई थी कि जो कार्य कभी इतिहास में नहीं हुआ वह अब करना पड़ गया  ताज्जुब तो तब हुआ जब देश का चौथा और मजबूत  स्तंम्भ  मीडिया ही भारत सरकार से वजहों के बारे में भी सवाल नहीं पूछ रहा है , उसे पूछना चाहिए था कि क्या किसी प्रकार का कोई हमला होने वाला था जो संसद को म्यूट किया गया ?

संसद जहाँ दोनों सदनों में जनता के लिए जनता द्वारा चुनकर भेजे गए प्रस्तावों एवं योजनाओं को चर्चा करने उपरांत पारित किया जाता है कई मर्तबा उचित अनुचित पर जबरदस्त बहस हो जाती हैं उसी दौरान गलत बर्ताव एव अभद्र टिप्पणीयों को सदन की कार्यवाही से हटाने हेतु माइक म्यूट करने का विकल्प दिया गया था  परन्तु उसका प्रयोग विपक्ष के सवालों को ही रिकॉर्ड से हटाने के लिए किया जाने लगा  तब विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि उन्हें बोलने ही नहीं दिया जाता है सदन में , उन्होंने उठ खड़े होकर मांग की उन्हें अपनी बात रखने का अवसर दिया जाना चाहिए  परन्तु सभापति महोदय द्वारा सदन को ही म्यूट कर दिया गया ताकि ऐसे किसी भी विरोध के स्वर बाहर ना चले जाएं और सत्तापक्ष की किरकिरी हो  मगर क्या ऐसे अनैतिक कार्यो से देश के सम्मान उसकी कीर्ति को आघात नहीं लगता है क्या ?

कहीं नैतिकता अनैतिक लोगों के बीच तो नहीं फँसो है और यदि यह कोई संयोग है या प्रयोग है तो वास्तव में कितना दुर्भाग्यपूर्ण है ?

तरविंदर सैनी माईकल कहते हैं कि देशवासी इतना पैसा खर्च करके संसद चलवाते हैं  तो क्या उन्हें इतना भी हक़ नहीं कि वह सच्चाई जान सकें  कि किसकी गलती है, कौन झूठ बोल रहा है  मगर कैसे जानेगी जब संसद ही म्यूट कर दी गई हो  सवाल तो यह है ?

फिजूल का यह हंगामा इस बात का प्रमाण लगता है कि मोदी सरकार सच सुनना ही नहीं चाहती है और जो देश की पहली ऐसी सरकार बन गई है जिसे चुने हुए विपक्षी सांसदों के सवालों से भय लगता है  जैसे मानों कि वह गुनहगार हों  चर्चा हुई तो भेद खुल जाएगा  इसलिए की गई संसद म्यूट  परन्तु क्या इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया कहा जा सकता है लोगों को यह राजशाही आदेश क्यों नहीं प्रतित हों ?

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