बीजेपी राज में तानाशाही अधिकारियों की अफसरशाही हावी।
गुरुग्राम : केंद्र से लेकर हरियाणा और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में तानाशाही अधिकारियों की अफसरशाही चरम सीमा पर है।
गरीब शोषित प्रशासन द्वारा प्रताडित गरीब तबके के छटनीग्रस्त कर्मचारी गुरुग्राम अपने साथ हुए अन्याय, शोषण को लेकर केंद्र से लेकर हरियाणा, चंडीगढ़ तक लगभग 2 सालो के अंदर हजारों पत्र देकर अवगत करा चुके हैं, लेकिन उपर से लेकर नीचे तक सभी गहरी नींद में सोये हुए हैं।
आखिर ये पत्र देने के बावजूद कोई कार्यवाई क्यों नहीं की जा रही है, आम आदमी की सुनवाई क्यों नहीं?
अफसरशाही पर लगाम कब लगेगी?
कब इन पत्रों पर कार्यवाई होगी?
कब गरीब, शोषित, प्रशासन द्वारा प्रताडित गरीब तबके के छटनीग्रस्त कर्मचारियों का समाधान होगा। छटनीग्रस्त कर्मचारियों में ज्यादातर सभी सरकारी दफ़्तर के कर्मचारी है। जिन को बिना किसी नोटिस के निकल दिया गया।
ऐसा ही एक मिला देखने को आया गुरुग्राम के किसान भवन में चल रहे हरियाणा स्टेट एग्रीकल्चरल मार्केटिंग कमेटी का। जिस में बिना किसी नोटिस के दस दस साल से काम कर रहे कर्मचारियों को करना काल साल 2020 में निकल दिया गया। जब की उसी साल ही सीएम हरियाणा मनोहर लाल खट्टर ने घोषणा की थी कि सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की प्रक्रिया शुरू कर दुहाई। और हर डिपार्टमेंट से कच्चे कर्मियो की सूची मंगाई जा रही है।
ऐसे में जिन कर्मियो की डिपार्टमेंट ने निकाल दिया, उसकी कोई वजह नही। और करीना काल में तो खुद हमारे मनानिए प्रधान मंंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि कोई भी प्राइवेट कंपनी भी अपने कर्मचारियों को ना निकाले, तो कैसे सरकारी डिपार्टमेंट ने इन कर्मियो को भूखे मेने के लिए छोड़ दिया। ये सब किस के आदेश पर हुआ, इसका अब तक कोई जवाब नही मिला। आज तीन साल बाद भी ये कर्मी अपनी नौकरी के लिए दर दर भटक रहे है। और इन कर्मियो की जंग आज भी जारी है। कर्मियो नेबताया कि वे नौकरी के लिए डिपार्टमेंट के बड़े अधिकारीयों जैसे डिपार्टमेंट के सुपरिटेंडेंट इंजिनियर, पार्षद, विधायक से मिले। सब ने कहा कि ऐसे कोई निकल नही सकता और आपकी नौकरी मिल जाएगी, पर आज तक नौकरी वापिस नही मिली। ऐसे में ऐसे कर्मियो ने सरकार को गुहार लगाई कि जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान किया जाए।
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