शिक्षा विभाग ने दिए आदेश, प्राइवेट स्कूलों में लगाई जाएं सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें,

 शिक्षा विभाग ने दिए आदेश, प्राइवेट स्कूलों में लगाई जाएं सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें, 



मंच का कहना है कि जब पेरेंट्स पूरी तरह से लूट लिए गए तब शिक्षा विभाग कह रहा है उनको ना लूटा जाए




शिक्षा निदेशक पंचकूला व जिला शिक्षा अधिकारी फरीदाबाद ने अलग-अलग पत्र निकालकर प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों को निर्देश दिया है कि एक तो स्कूल प्रबंधक अभिभावकों को अपने स्कूल के अंदर खुली दुकान या बाहर बताई गई दुकान से ही किताब कॉपी वर्दी स्टेशनरी आदि खरीदने के लिए मजबूर ना करें। वे कहीं से भी इनको ले सकने के लिए स्वतंत्र होंगे दूसरा सभी प्राइवेट स्कूल अपने स्कूल में सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें ही लगायें, प्राइवेट 

प्रकाशकों की किताबें ना लगाई जाएं। 7 अप्रैल को निकाले गए इन दोनों आदेशों पर हरियाणा अभिभावक एकता मंच का कहना है कि जब अधिकांश अभिभावकों से स्कूल प्रबंधकों ने कमीशन के चक्कर में महंगी प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें खरीदवाली हैं। तब शिक्षा विभाग ने "चोर से कह चोरी कर और साह से कह सावधान रह" की तर्ज पर यह आदेश निकाले हैं। मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि स्कूल प्रबंधकों की महंगी फीस व उनके द्वारा किताब कॉपी में की जा रही लूट व मनमानी की शिकायत मंच ने 12 मार्च को ही मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री शिक्षा सचिव व स्कूलों की मनमानी को रोकने के लिए मंडल कमिश्नर की अध्यक्षता में बनाई गई फीस व फंडस रेगुलेटरी कमेटी तथा जिला शिक्षा अधिकारी फरीदाबाद को सबूतों के कर दी थी उसके बाद रिमाइंडर भी दिया था।लेकिन उन्होंने समय रहते कोई भी उचित कार्रवाई नहीं की और स्कूलों का साथ देते हुए उनको पेरेंट्स को लूटने का पूरा मौका दिया। जब समाचार पत्रों, सोशल मीडिया व टीवी पर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के बारे में ज्यादा चर्चा हुई तब शिक्षा विभाग ने यह कागजी कार्रवाई की है। मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा व लीगल एडवाइजर एडवोकेट बीएस विरदी ने कहा है कि सरकार अगर ईमानदारी से मनमानी कर रहे प्राइवेट स्कूल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करना चाहती है तो एक तो उनके द्वारा जमा कराए गए फार्म 6 में दिए गए ब्यौरे व उसके साथ लगाई गई बैलेंस शीट की सत्यता की ठीक प्रकार से जांच कराए, जिन्होंने फार्म 6 जमा कराने से पहले ही फीस बढ़ा दी है और जिन्होंने फार्म 6 जमा ही नहीं कराया उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। दूसरा शिक्षा विभाग के अधिकारी सभी प्राइवेट स्कूलों, "खासकर सीबीएसई के नामी-गिरामी स्कूलों" में प्रत्येक क्लास में जाकर बच्चों के बस्तों की जांच करें। जांच के बाद अगर बस्ते में प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें मिलती हैं और बस्ते का बजन निर्धारित बजन से ज्यादा मिलता है तो उस स्कूल के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए। मंच का मानना है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी ऐसा करेंगे नहीं क्योंकि स्कूलों की सशक्त लाबी का खौफ उनके मन में बैठा हुआ है। अगर कोई कार्रवाई करेंगे भी तो छोटे-मोटे स्कूलों में जाकर खानापूर्ति कर लेंगे। मंच का कहना है कि स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए अभिभावकों को ही एकजुट और जागरूक होकर आगे आना चाहिए और सांसद विधायक व अन्य जनप्रतिनिधियों के दरवाजे पर जाकर उनसे पूछना चाहिए कि वे प्राइवेट स्कूल संचालकों की मनमानी पर चुप क्यों है। अगर वे अभिभावकों का साथ नहीं देते हैं तो चुनाव में उनको सबक सिखाना चाहिए।


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