शुभ महालय पुरशोत्तम मास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिकमास, जानिए इसका महत्व और पौराणिक आधार ज्योतिर्विद राघवेंद्ररवीश राय गौड़ से :-
प्रत्येक माह में सूर्य 1-1 राशि में संक्रमण करता है परंतु अधिक मास में सूर्य किसी भी राशि में संक्रमण नहीं करता अर्थात अधिक मास में सूर्य संक्रांति नहीं होती।
आखिर क्यों और कैसे आता है अधिक मास
पंचांग के अनुसार मलमास या अधिक मास का आधार सूर्य और चंद्रमा की चाल से है। सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है। चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। इन दोनों वर्षों के बीच 11 दिनों का अंतर होता है। यही अंतर तीन साल में एक महीने के बराबर होता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास आता है। इसी को मलमास या अधिक मास कहा जाता है।
अधिक मास में क्या करें
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अधिक मास में भगवान का स्मरण करना चाहिए। अधिक मास में किए गए दान आदि का कई गुणा पुण्य प्राप्त होता है। इस मास को आत्म की शुद्धि से भी जोड़कर देखा जाता है। अधिक मास में व्यक्ति को मन की शुद्धि के लिए भी प्रयास करने चाहिए। आत्म चिंतन करते मानव कल्याण की दिशा में विचार करने चाहिए। सृष्टि का आभार व्यक्त करते हुए अपने पूर्वजों का धन्यवाद करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सकारात्मकता को बढ़ावा मिलता है।
ये कार्य न करें
मलमास के दौरान घर, कार इत्यादि नहीं खरीदना चाहिये। घर का निर्माण कार्य शुरू न करें और न ही उससे संबंधित कोई समान खरीदें। विवाह, गृह-प्रवेश, सगाई, मुंडन जैसे शुभ कार्य न करें। नये कार्य की शुरुआत भी नहीं करनी चाहिये।
दान का खास महत्व
अधिक मास में जरूरतमंद लोगों को अनाज, धन, जूते-चप्पल और कपड़ों का दान करना चाहिए. अभी बारिश का समय है तो इन दिनों में छाते का दान भी कर सकते हैं. किसी मंदिर में शिव जी से जुड़ी चीजें जैसे चंदन, अबीर, गुलाल, हार-फूल, बिल्व पत्र, दूध, दही, घी, जनेऊ आदि का दान कर सकते हैं.
कृष्ण पक्ष का दान
(1) घी से भरा चांदी का दीपक (2) सोना या कांसे का पात्र (3) कच्चे चने (4) खारेक (5) गुड़, तुवर दाल (6) लाल चंदन (7) मीठा रंग (8) कपुर, केवड़े की अगरबत्ती (9) केसर (10) कस्तूरी (11) गोरेचन (12) शंख (13) गरूड़ घं टी (14) मोती या मोती की माला (15) हीरा या पन्ना का नग
शुक्ल पक्ष का दान
(1) माल पुआ (2) खीर भरा पात्र (3) दही (4) सूती वस्त्र (5) रेशमी वस्त्र (6) ऊनी वस्त्र (7) घी (8) तिल गुड़ (9) चावल (10) गेहूं (11) दूध (12) कच्ची खिचड़ी (13 ) शक्कर व शहद (14) तांबे का पात्र (15) चांदी का नन्दीगण।
नारायणनारायण
राघवेंद्ररविश रायगौड़
ज्योतिर्विद
9926910965
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