भगवान हरि हर को समर्पित रहेगा इस वर्ष श्रावण माह

 भगवान हरि हर को समर्पित रहेगा इस वर्ष श्रावण माह 


19 वर्ष के बाद श्रावण एवं अधिक मास एक साथ होने से सावन 58 दिनों का होगा. विशेष महत्व ये हे की शेव्य मत का सर्वोत्कृष्ठ माह श्रावण एवं वेष्णव मत का सर्वोत्कृष्ठ माह पुरुषोत्तम मास एक साथ होने से हम भगवान हरि हर की महती कृपा प्राप्त कर सकते है । 



सनातन  धर्म में सावन मास का विशेष महत्व है। मान्यता है कि सावन मास भगवान शिव का सबसे प्रिय मास है और इस पूरे महीने हर तरफ हरियाली खिल उठती है। इस मास में भगवान शिव की आराधना करने पर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। सावन मास में शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने का भी विशेष महत्व है। इस वर्ष एक नहीं दो मास  का होगा श्रावण, 


श्रावण मास की अवधी


श्रावण मास 4 जुलाई को शुरू होगा और 31 अगस्‍त पर्यंत तक रहेगा 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास रहेगा. इस तरह सावन 58 दिनों का होगा. ये दुर्लभ संयोग 19 साल बाद बन रहा है. 


श्रावण मास का महत्व 


भगवान शिव ने स्वयं सावन के महत्व के बारे में बताया है। माना जाता है कि सावन माह में भगवानशिव की पूजा करने से तुरंत फलों की प्राप्ति होती है।

द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभ: । 

श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत: ।।

श्रवणर्क्षं पौर्णमास्यां ततोऽपि श्रावण: स्मृत:। 

यस्य श्रवणमात्रेण सिद्धिद: श्रावणोऽप्यत: ।।


इस बार सावन में 8 सोमवार होंगे


सावन के सोमवार के व्रत का खास महत्‍व माना गया है. हर साल 4 या 5 सावन के सोमवार के व्रत होते हैं. लेकिन इस बार सावन के सोमवार 4 या 5 नहीं, बल्कि 8 होंगे. 4 सोमवार जुलाई में होंगे और 4 अगस्‍त के महीने में पड़ेंगे. ये सोमवार 10, 17, 24 और 31 जुलाई को और 7, 14, 21 और 28 अगस्‍त को पड़ेंगे.



क्‍यों भगवान महादेव को प्रिय है श्रावण मास 


कहा जाता है कि दक्ष पुत्री सती ने जब अपने प्राणों को त्याग दिया था, तो महादेव दुख में इतने डूब गए थे कि घोर तप में लीन हो गए थे. तब माता सती से पर्वतराज हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया और महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया. उनके तप से प्रसन्‍न होकर महादेव ने उनकी मनोकामना को पूरा किया और इसके बाद ही महाशिवरात्रि पर उनका माता पार्वती के साथ विवाह हुआ. इस तरह ये महीना शिवजी और माता पार्वती के मिलन का महीना माना जाता है. इसलिए ये महीना भगवान शिव और माता गौरी, दोनों को प्रिय है. 

 


जानिए सावन में कब, कौन-सा त्योहार मनाया जाएगा 


 

संकष्टी चतुर्थी        6 जुलाई,  गुरुवार


कामिका एकादशी 13 जुलाई, गुरुवार


प्रदोष व्रत              14 जुलाई, शुक्रवार


मासिक शिवरात्रि 15 जुलाई, शनिवार


कर्क संक्रांति        16 जुलाई, रविवार

श्रावण अमावस्या 17  जुलाई, सोमवार

पद्मिनी एकादशी 29 जुलाई, शनिवार


पूर्णिमा व्रत        1 अगस्त, मंगलवार

संकष्टी चतुर्थी        4 अगस्त, शुक्रवार

परम एकादशी        12 अगस्त, शनिवार

प्रदोष व्रत               13 अगस्त, रविवार

मासिक शिवरात्रि 14 अगस्त, सोमवार

अमावस्या               16 अगस्त, बुधवार

सिंह संक्रांति        17 अगस्त, गुरुवार

हरियाली तीज        19 अगस्त, शनिवार

नाग पंचमी         21 अगस्त, सोमवार

पुत्रदा एकादशी   27 अगस्त, रविवार

प्रदोष व्रत               28 अगस्त, सोमवार


रक्षा बंधन               30 अगस्त, बुधवार

श्रावण पूर्णिमा व्रत 31 अगस्त, गुरुवार


मंगला गौरी व्रत 


देवी पुराण अनुसार जिस प्रकार श्रावण सोमवार भगवान शिव को समर्पित सावन का मंगलवार मां मंगला गौरी की पूजा के लिए समर्पित हैं. 

श्रावण महीने के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है. मान्यता है यह व्रत महिलाओं  द्वारा करने से उनके पति एवं संतान दोनों के जीवन में मंगल होता है साथ ही साथ  अगर दंपत्ति (पति और पत्नी) दोनों एक साथ व्रत करके भगवान शंकर-पार्वती की पूजा करें तो वैवाहिक जीवन में प्रेम और सुख-शांति बनी रहती है.


पहला मंगला गौरी व्रत 4 जुलाई 2023

दूसरा मंगला गौरी व्रत 11 जुलाई 2023

तीसरा मंगला गौरी व्रत 18 जुलाई 2023

चौथा मंगला गौरी व्रत 25 जुलाई 2023

पांचवा मंगला गौरी व्रत 1 अगस्त 2023

छठा मंगला गौरी व्रत 8 अगस्त 2023

सातवा मंगला गौरी व्रत 15 अगस्त 2023

आठवां मंगला गौरी व्रत 22 अगस्त 2023

नौवां मंगला गौरी व्रत 29 अगस्त 2023




नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नमः 

शंकराय च मयस्कराय च नमः 

शिवाय च शिवतराय च।। 


नारायणनारायण

राघवेंद्ररविश रायगौड़

 ज्योतिर्विद

9926910965

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