आगरा। ज़ब - जब कागज पर लिखा मैंने माँ का नाम, कलम अदब से बोल उठी हो गये हमारे चारों धाम। कभी माँ का महत्व कम हो नहीं सकता, माँ जैसा दुनियां में कुछ हो नहीं सकता। मां के प्यार, त्याग और तपस्या के बदले व्यक्ति उसे कुछ नहीं लौटा सकता। हर माँ के चरणों में नमन, वंदन व अभिनंदन।
सुप्रसिद्ध एवं लोकप्रिय राष्ट्रवादी सामाजिक चिंतक, लेखक, पत्रकार एवं वरिष्ठ समाजसेवी श्री राजेश खुराना जी ने हर माँ के चरणों में नमन, वंदन व अभिनंदन व्यक्त करते हुए कहा कि माँ, वो गुजरा ज़माना जीवन के हर एक सुख - दुख में बहुत याद आता हैं। अक्सर किसी की भी जुबान पर "मां नाम" आते ही मन और मतिष्क में मातृत्व और करुणा से भरा मेरी माँ का चेहरा नजरों के सामने आ जाता है, जिसे हम मां कहते थे। आज़ जब-जब मां की याद आती है, तब तब उसका अपनापन और निस्वार्थ सेवा भाव स्वयं ही जुबान पर आ ही जाता है। इसीलिए पूरी दुनिया के सभी धर्मों ने मां के रिश्ते को सबसे पवित्र माना गया है। क्युकी माँ का पूरा जीवन अपने बच्चों के प्रति प्यार, दुलार, समर्पण और त्याग अनमोल होता है। मां भगवान की सबसे श्रेष्ठ रचना है। माँ से बड़ा दुनियां में कोई योद्धा नहीं। माँ बिन संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पूरी दुनिया के सभी धर्मों ने मां के रिश्ते को सबसे पवित्र माना गया है। मां सिर्फ शब्द नहीं बल्कि एक भावना है। इसका वर्णन शब्दों मे करना नामुमकिन है। मां वो है जो न सिर्फ हमे जन्म देती है, बल्कि हमे जीना भी सिखाती है। खुद भूखी सो जाए पर अपने बच्चो को भूखा रहने नहीं देती। उसे खुद कितनी भी तकलीफ हो वो जताती नहीं और ऐसे मे भी सिर्फ अपने बच्चो की ही सलामती की दुआ करती है। मां की ममता साग़र से भी गहरी है। मां का प्यार निस्वार्थ होता है,जो हम अपने पूरे जीवन में किसी और से प्राप्त नहीं कर सकते हैं। इसीलिए लोग कहते हैं -"माँ का महत्व दुनियां में कभी कम हो नहीं सकता, माँ जैसा पुरे संसार में कुछ हो नहीं सकता, माँ चूल्हा, धुआँ, रोटी और हाथों का छाला हैं, माँ जीवन कि कड़वाहट में अमृत का प्याला है। माँ पृथ्वी हैं, जगत हैं, धुरी हैं, माँ बिना इस सृष्ठी की कल्पना अधूरी हैं, मां की दुआएं लेते रहना इन्ही दुआओं से दुनिया से टक्कर लेने की हिम्मत रहती है। मां ही हमारी सबसे पहली गुरु होती है। एक मां अपने बच्चों की हर प्रकार से रक्षा और उनकी देखभाल करती है। इसलिए मां को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाता है। दुनिया में हर शब्द का अर्थ समझा और समझाया जा सकता है, लेकिन मां शब्द का अर्थ समझना और समझाना दोनों ही लगभग नामुमकिन है। संसार में मां एक ऐसा शब्द है, जिसमें पूरा ब्रम्हांड समा जाए इसलिए मां शब्द का अर्थ समझाना इसलिए नामुमकिन है, क्योंकि मां के प्यार को मां के बलिदान को शब्दों में नहीं समझाया जा सकता।
श्री खुराना ने अपनी माँ के चित्र की ओर देखते हुये बताया कि मां के दिल में जितना प्यार अपने बच्चों के लिए होता है। अगर मां के सभी बच्चे कोशिश भी करें तो उसका कुछ अंश भी अदा नहीं कर सकते। क्युकी मां वह शख्स होती है, जो नो माह तक अपने बच्चे को कोख में रखकर जन्म देती है। उसके बाद उसका लालन-पालन करती है। कुछ भी हो जाए लेकिन एक मां का अपने बच्चों के प्रति स्नेह कभी कम नहीं होता है। वह खुद से भी ज्यादा अपने बच्चों के सुख सुविधाओं को लेकर चिंतित रहती है। माँ का सभी के जीवन में योगदान अतुलनीय योगदान होता है। सदियां बदल गई, जमाना बदल गया या कहें पिछले कुछ वर्षों में संसार ही बदल गया। केवल मां का ही समर्पण और ममता में कोई बदलाव नहीं आता। मां का प्यार सागर से गहरा और आसमान से ऊंचा होता है, जिसे मापना, तौलना मुमकिन नहीं। हम खुशनसीब हैं कि हमें वो प्यार मिला। सच हैं - मां जैसा प्यार इस दुनिया में और कोई नहीं कर सकता। मां हमारी हर जरूरतों से लेकर छोटी-बड़ी खुशियों का ख्याल थी और बदले में कभी कुछ नहीं मांगती थी। मां जबतक हमारे साथ थी परिवार व बच्चों की खुशियों के लिए ताउम्र ममता न्योछावर करती रही। हम कई बार व्यस्त रहने के कारण तो कभी किसी और वजह से अपनी मां से अपनी जिंदगी में उनके मायने नहीं बता पाते। कहते हैं न कि मां के प्यार का कर्ज चुकाया नहीं जा सकता। हमें इस दुनिया में लाने वाली और इंसान बनाने वाली मां ही होती हैं, लेकिन हम कभी मां को उनके प्यार और ममता के लिए थैंक्स नहीं कह पाते हैं। मेरे जीवन उनके आशीर्वाद उनकी खुशियों के बिना अधुरा है। मेरे दिन की शुरुआत उनकी तश्वीर के चरण स्पर्श कर उनके आशीर्वाद से ही होती है। सिर्फ़ अपनी माँ के आशीर्वाद से ही जीवन में आज मैं हर तरह से स्वस्थ, सुखी और समृद्ध संपन्न हूं। इसलिए माँ क़ो बारम्बार नमन और वंदन करता हूँ। अपनी मां के प्रति अपने प्यार को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। यह पूरा जीवन मां के नाम समर्पित करता हूँ।
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