वंचित बच्चों को शिक्षा प्रदान कर उनका जीवन सुधारने में जुटी है कायना मलिक
-घर की छत पर बच्चों को प्रोजेक्ट वीरा के माध्यम से देती हैं शिक्षा
गुरुग्राम। सकारात्मक बदलाव लाने का जुनून और सांझा करने का उत्साह होना चाहिए, फिर कोई काम मुश्किल नहीं है। ऐसे ही जुनून के साथ काम कर रही है एक युवा लडक़ी कायना मलिक। प्रोजेक्ट वीरा के माध्यम से कायना मलिक वंचित बच्चों में ज्ञान का दीप जला रही हैं। प्रोजेक्ट वीरा का नाम 7 साल की एक बच्ची के नाम पर रखा गया है, जो कि उनकी सोसायटी में काम करने वाली महिला की बेटी है।
गुरुग्राम के तिगरा गांव के वंचित बच्चों को शिक्षित करने के लिए अपने स्तर पर पढ़ाने वाली कायना मलिक वैसे तो लोटस वैली इंटरनेशनल स्कूल में 12वीं कक्षा की छात्रा होने के साथ गायिका व प्रभावी स्पीकर है, लेकिन उसकी सोच और काम करने का जज्बा बड़ी उम्र वालों से भी कहीं अधिक है। उसमें सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का भंडार है। वह अपनी ऊर्जा को जनहित में लगाते हुए प्रोजेक्ट वीरा के माध्यम से शिक्षा की अलख जगा रही है। वह अपने आसपास की दुनिया में बदलाव लाने की सोच के साथ काम कर रही है। प्रोजेक्ट वीरा एक प्रभावी शुरुआत है।
कायना मलिक ने प्रोजेक्ट वीरा के तहत कोविड के दौरान देखा कि स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है तो उन्होंने बच्चों को शिक्षित करने का काम शुरू किया। कायना ने प्रोजेक्ट वीरा के माध्यम से गुरुग्राम में तिगरा गांव में उन वंचित बच्चों (ड्राइवरों, गार्डों आदि के) तक स्कूल में अपनी शिक्षा का विस्तार करने के तरीके खोजे। 25-30 बच्चों और उनके माता-पिता से बात की और उनके लिए मनोरंजक शिक्षण पाठ्यक्रम की शुरुआत की। कायना कहती हैं कि शिक्षा हम सब का मूल अधिकार ही नहीं, एक कर्तव्य भी है। शिक्षा प्राप्त करना एक आजीवन प्रक्रिया है। यह बांटने से बढ़ती है। ज्ञान सांझा करने के लिए किसी व्यक्ति को एक योग्य शिक्षक होना अनिवार्य नहीं है।
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