राम भक्त ले चला राम की निशानी, अब इनकी छांव में रहेगी राजधानी...
-जैकबपुरा की श्री दुर्गा रामलीला में भरत मिलाप ने किया भाव-विभोर
-आकाश मार्ग से शूर्पणखा के आने की लीला ने किया रोमांचित
गुरुग्राम। भरत ने बड़े भाई राम के लिए राज तक त्याग दिया था। ऐसे ही त्याग की भावना हमारे समाज में हो, इसके हम सबको प्रयास करने चाहिए। परिवारों में भाइयों के बीच समर्पण की भावना होनी चाहिए। यह संदेश दिया गया जैकबपुरा स्थित श्री दुर्गा रामलीला में। यहां भरत मिलाप की लीला ने भाव-विभोर कर दिया। यही कलाकारों की सफलता है।
सातवें दिन की लीला में दर्शकों में भरत मिलाप की लीला देखने को उत्सुकता रही। लीला में दिखा गया कि भरत राम को वापस अयोध्या लाने के लिए चल पड़ते हैं। यह समाचार सुनकर लक्ष्मण बहुत क्रोधित हो जाते हैं और श्री राम से कहते हैं कि जैसी माता, वैसा पुत्र। राजकुमार भरत अपनी सेना के साथ आप पर बड़े भाई राम पर हमला करने आ रहे हैं। वे यह सोचते हैं कि आप वन में अकेले हैं, हमारे पास कोई सैन्य शक्ति नहीं हैं। वे आसानी से हमें मारकर अयोध्या का राज्य हड़प लेंगे। तब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम लक्ष्मण को समझाते हुए कहते हैं कि शांत हो जाओ लक्ष्मण। भरत ऐसा नहीं हैं। उसके विचार बहुत ही उच्च हैं और उसका चरित्र बहुत ही अच्छा है। वो तो स्वप्न में भी अपने भाई के साथ ऐसा कुछ नहीं कर सकता। इस पर भी लक्ष्मण का क्रोध शांत नहीं होता और वे कहते हैं कि राजकुमार भरत अपने उद्देश्य में कभी सफल नहीं होंगे।
भरत अपने बड़े भाई राम से मिलने को आतुर हैं। जैसे ही राजकुमार भरत अपने बड़े भाई श्रीराम को देखते हैं तो उन्हें दण्डवत प्रणाम करते हैं। साथ ही साथ उनकी आंखों से अविरल अश्रुधारा बहती हैं। दोनों ही भाई आपस में मिलकर भावुक हो उठते हैं। भरत पिता राजा दशरथ की मृत्यु का समाचार श्री राम को देते हैं तो राम, सीता, लक्ष्मण की आंखों से आंसु बहने लते हैं। भगवान राम नदी के तट पर अपने पिता महाराज दशरथ को विधि-विधान अनुसार श्रद्धांजलि देते हैं और अपनी अंजुली में जल लेकर अर्पण करते हैं।
भरत राम को अयोध्या चलने के लिए मनाते हैं, लेकिन राम पिता के वचनों को पूरा करने की बात कहकर इससे इंकार कर देते हैं। आखिर में भरत श्रीराम की चरण पादुकाएं लेकर अयोध्या को चल पड़ते हैं। इसी दौरान गीत बजता है कि-राम भक्त ले चला राम की निशानी, अब इनकी छांव में रहेगी राजधानी...। राम-भरत मिलाप की लीला ने दर्शकों को पूरे समय तक बांधे रखा। इसके बाद शूर्पणखा की नाक काटने की लीला दिखाई गई। आकाश मार्ग से शूर्पणखा को लाया गया। इस लीला ने दर्शकों का काफी रोमांचित किया। पहली बार ऐसा प्रयोग रामलीला कमेटी की तरफ से किया गया, जो कि सफल रहा।
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