डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर की प्रार्थना

 डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर की प्रार्थना

गुरुग्राम:रेखा वैष्णव:नहाय खाय के साथ 17 नवम्बर को छठ पूजा की पर्व की शुरुआत हुई। छठ पूजा की शुरूआत नहाय-खाय के साथ हुई। अगले दिन छठ व्रतधारियों ने खरना, अर्घ्य और पारण किया। आज सांय ढ़लते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रतधारियों ने खुशहाली की कामना की।


कादीपुर गांव में पूर्वांचल पूजा सेवा समिति ने छठ पर्व पर कार्यक्रम का अयोजन किया जिसमे मुख्य अतिथि पार्षद उम्मीदवार महावीर यादव ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दे रहें छठ व्रतधारियों की खुशहाली की कामना की और स्थानीय पूर्वांचलवासियों की बरसो पुरानी स्थायी घाट की मांग पर भी उन्हें आश्वासन दिया।



छठ पूजा में विशेष तौर पर सूर्य देवता और छठ माता की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा से संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा और सुख समृद्धि का वरदान मिलता है। चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व मुख्य तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है। आज छठ पूजा का तीसरा दिन रहा। आज ढलते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया गया। सूर्यास्त की शुरुआत 05 बजकर 26 मिनट पर हुई। इससे पूर्व छठ के तमाम घाटों पर व्रतधारियों की भारी भीड़ उमड़ी। व्रतधारियों से छठ के घाट पटे हुए नजर आए। चोरों ओर का नजारा व्रतधारियों से भरा नजर आ रहा था।


छठ घाट की तरफ जाते हुए रास्ते में महिलाएं गीत भी गाती नजर आईं। चारों ओर धूप-दीप जलते नजर आए। बताते चलें कि छठ पर्व का तीसरा दिन जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। यह चैत्र या कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सुबह से अर्घ्य की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। पूजा के लिए लोग प्रसाद जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू बनाते हैं। छठ पूजा के लिए बांस की बनी एक टोकरी ली जाती है, जिसमें पूजा के प्रसाद, फल, फूल, आदि अच्छे से सजाए जाते हैं। एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल रखे जाते हैं। इसके बाद व्रती महिलाएं सूर्य देव की ओर मुख करके डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा करती हैं। अर्घ्य देते समय सूर्य देव को दूध और जल चढ़ाया जाता है। उसके बाद लोग सारा सामान लेकर घर आ जाते है।



पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सायंकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं। इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है। 


इस कार्यक्रम में। सुरेश यादव, लखमी यादव, नरेश यादव, मनीष चौधरी, मिथलेश चौधरी, मोहन चौधरी, उमेश, गुडडू इलेक्ट्रीशियन, राघवेंद्र, सतेंद्र चर्तुवेदी पुर्वांचल बलिया, सुशांत सहित सैकड़ों की संख्या में व्रतधारी आए हुए थे

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