इन दिनों में पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्न दान प्रमुख होते हैं: गोपाल कृष्ण कौशिक

 


श्राद्धपक्ष निर्णय

इस बार 07 सितम्बर 2025 से श्राद्धपक्ष शुरू हो रहा हैं। हर साल इस पक्ष में अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। इन दिनों में पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्न दान प्रमुख होते हैं।

ज्योतिष शास्त्र में कुण्डली में पितृदोष से अनेक परेशानियाँ बताई गई हैं, जैसे - गर्भधारण में समस्या, बार बार गर्भपात, मानसिक दृष्टि से विकलांग या शरीर से विकृतांग बच्चे, बच्चों की अकाल मृत्यु, दरिद्री जीवन, विवाह न हो पाना, वैवाहिक जीवन में अशान्ति, परीक्षा में असफलता, बार बार नौकरी छूट जाना, बिजनेस में बार बार हानि।

जो लोग पितृपक्ष में पूर्वजों का तर्पण नहीं कराते, उन्हें पितृदोष लगता है। श्राद्ध के बाद ही पितृदोष से मुक्ति मिलती है वे प्रसन्‍न रहते हैं, तो उनका आशीर्वाद परिवार को प्राप्‍त होता है।

इस साल पितृपक्ष का पहला श्राद्ध (पूर्णिमा श्राद्ध) 07 सितंबर 2025 को है और अन्तिम श्राद्ध यानी अमावस्या श्राद्ध 21 सितंबर 2025 को होगा।

07 सितम्बर - पूर्णिमा श्राद्ध (ऋषियों व नाना-नानी का श्राद्ध)
08 सितंबर - प्रतिपदा श्राद्ध
09 सितंबर - द्वितीया श्राद्ध
10 सितम्बर - तृतीया श्राद्ध
11 सितम्बर - चतुर्थी व पंचमी व अविवाहित पूर्वजों का श्राद्ध
12 सितम्बर -  षष्ठी श्राद्ध
13 सितम्बर - सप्तमी व निःसन्तान पूर्वजों का श्राद्ध
14 सितम्बर - अष्टमी श्राद्ध
15 सितम्बर - नवमी व सुहागिन स्त्रियों का श्राद्ध
16 सितम्बर - दशमी श्राद्ध
17 सितम्बर - एकादशी व सन्यासियों का श्राद्ध (केवल फल व दूध से)
18 सितम्बर - द्वादशी श्राद्ध
19 सितम्बर - त्रयोदशी श्राद्ध
20 सितम्बर - चतुर्दशी व अकाल मृत्यु वाले पूर्वजों का श्राद्ध
21 सितम्बर - अमावस्या का श्राद्ध, अज्ञात मृत्यु वाले पूर्वजों का श्राद्ध, सर्वपितृ श्राद्ध, पितृ विसर्जन (सर्वपितृ अमावस्या)

इनमें सें पूर्णिमा, पंचमी, सप्तमी, नवमी, एकादशी, चतुर्दशी और अमावस्या के श्राद्ध प्रत्येक परिवार को अवश्य करने चाहिए। इससे परिवार के सदस्यों को पितृदोष के कारण आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

इसके अलावा धर्म शास्त्रों के अनुसार अपने कुल की सात पीढ़ियों के पितरों के श्राद्ध करना हमारा कर्तव्य है, परन्तु आधुनिक युग में लोगों को अपने वंशवृक्ष के बारे में पूरी जानकारी न होने के कारण अपने परिवार के कम से कम तीन पीढ़ियों के पितरों का श्राद्ध सभी सनातन परिवारों के लिए कर्तव्य है। जो अपने पितरों का श्राद्ध नहीं करते, उनके पितृ पन्द्रह दिन अधर में अपने तर्पण की प्रतीक्षा करते हैं और अन्त में दुखी होकर उस परिवार को शाप देकर रोते हुए पितृलोक को जाते हैं। यह श्राप परिवार के व्यक्तियों की जन्म कुंडली में अक्सर पितृदोष जनित बाधा के रूप में दिखाई देता है। यह शास्त्र का वचन है।

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गोपाल कृष्ण कौशिक
#श्राद्ध
Whatsapp - 9711824759

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