भाजपा का स्थापना दिवस बना भाजपाईयों का ही दुर्भाग्य दिवस, पुराने लगे ठिकाने : माईकल सैनी (आप)

भाजपा का स्थापना दिवस बना भाजपाईयों का ही दुर्भाग्य दिवस, पुराने लगे ठिकाने : माईकल सैनी (आप)

भारतीय जनता पार्टी अपने ही संस्थापकों के आदर्शों, नियमों को भुलाने वाली पार्टी : माईकल सैनी (आप)

गुरुग्राम 6 अप्रैल 2024 भाजपा अपने आप को नीति-नियम व सिद्धांतों वाली पार्टी बताती है, नैतिकता और सुचिता की बात करती है, धर्म की रक्षक और राष्ट्रवादी होने का ढिंढोरा पीटती रहती है  जब्कि सच्चाई यह है कि राष्ट्रीय पार्टी के स्थापना दिवस पर भाजपा के झंडे तो नजर आए मगर राष्ट्रीय झंडा तिरंगा नजरों से ओझल ही रहा  जो दुर्भाग्यपूर्ण बात नहीं तो क्या है ?

आम आदमी पार्टी नेता माईकल सैनी ने कहा कि भाजपा का जन्म छ अप्रैल 1980 को हुआ  जिसके स्थापना दिवस को तभी से प्रतिवर्ष मनाया जाता  रहा है, पूर्व में देखें तो आम भाजपाई भी जश्न की तैयारियों में महीनों पहले जुट जाते थे  जिनमें उत्साह और उमंग देखते ही बनता था  मगर अब न तो वह संस्थापक रहे और न ही वो सिद्धांत जो उनके द्वारा निर्धारित किए गए थे, लगता है उन संस्थापकों व नियमों-कायदों को तिलांजलि दे दी जा चुकी है , उनके आदर्शों को भुलाकर सत्ता लाभ की खातिर अपने दल के आंतरिक संविधान को किनारे कर मौकापरस्त राजनीति शैली को अपना लिया गया है  तभी विपक्षी दलों का सारा कचरा आज भाजपा के भीतर शोभायमान है  और जो वर्षो से निष्ठाभाव से समर्पित हुआ करते थे  उन्हें कब का दरकिनार कर चुकी है भाजपा, अन्यथा बताए भाजपा आज किन किन संस्थापकों को आज के स्थापना दिवस पर सम्मानित करने की बात छोड़ो  उन्हें याद कर बुलावा भी भेजा गया हो ?

माईकल सैनी ने कहा कि पहले जैसी भाजपा नहीं रही और न ही वो आदर्श जिन्हें मानकर वह चला करती थी,  उसे देख प्रतीत होता है कि अनैतिक लोगों का गिरोह भर बनकर रह गई है पार्टी जिसकी सत्ता लोलुपता ने बड़े से बड़े भ्रष्टाचारी को न केवल आश्रय दिया बल्कि लूट की खुली छूट भी दी, हरियाणा का ऐतिहासिक शराब घोटाला जीती जागती मिसाल है, बाकि पाठक समझदार हैं...

उन्होंने कहा कि भाजपा का स्थापना दिवस मनाया जाना महज एक औपचारिकता (इवेंट) बनकर रह गया है, दूसरे अर्थो में समझा जाए तो अपने वजूद को जिंदा दिखाने की कवायद भर , चूँकि ना पुराने लोग और ना ही वो जज्बा दिखा   परन्तु जो चेहरे दिख रहे हैं वह उन्हीं प्रतिद्वंद्वियों के चेहरे लगे जिनसे कभी भाजपाई लड़ा करते थे मुद्दों पर  मगर क्या यह दुर्भाग्य नहीं उन समर्पित कार्यकर्ताओं का जिन्होंने सर्वस्व दिया पार्टी को और कुछ पल पहले भाजपा में शामिल हुए लोगों को टिकेट दे रही है ?

नीतियों की बात करें तो मुख्यमंत्री नायाब सैनी के आज दिए बयान में उन्होंने कहा कि अपराधी प्रवर्ति के लोग प्रदेश छोड़कर चले जाएं  अन्यथा वह उन्हें सुधार देंगें, अब सवाल यह खड़ा होता है कि पिछले साढ़े नो साल से भाजपा की ही तो सरकार है  तब क्यों नहीं सुधारे, दीगर बात है अधिकांश मामलों में भाजपा नेता मंत्रियों के ही नाम सामने आ रहे , तो क्या यह इशारा उन की ओर है मुख्यमंत्री जी ?

भाजपा शासनकाल में नैतिकता नाम की चीज नहीं बची, चुनाव आयोग जैसी स्वतंत्र एजेंसी के कर्मचारियों ने जिस अभद्रता का परिचय दिया क्या वह पक्षता सभ्य समाज के लिए शोभनीय कहि जा सकती है, भाजपा के स्थापना दिवस की ही पूर्व संध्या पर उनके अधिकारी अपशब्दों का प्रयोग कर जो आचरण किया उसने सरकार की सुचिता को कलंकित करने का कार्य किया है  हालांकि उनपर कार्यवाही जरूर की गई है  मगर लोगों को इलेक्शन कमीशन की निष्पक्षता पर संदेह है , जो लोकतांत्रिक देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है !

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