हकेवि में ‘राजभाषा नीति एवं कार्यान्वयनः विविध आयाम‘ विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला की हुई शुरुआत

 हकेवि में ‘राजभाषा नीति एवं कार्यान्वयनः विविध आयाम‘ विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला की हुई शुरुआत

-संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के पूर्व निदेशक (राजभाषा) डॉ. वेद प्रकाश गौड़ ने किया संबोधित

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में राजभाषा अनुभाग व नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास), महेंद्रगढ़ द्वारा ‘राजभाषा नीति एवं कार्यान्वयनः विविध आयाम‘ विषय पर केंद्रित तीन दिवसीय कार्यशाला की सोमवार 21 जुलाई, 2025 को शुरूआत हुई। इस कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के पूर्व निदेशक (राजभाषा) डॉ. वेद प्रकाश गौड़ मुख्य अतिथि एवं विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के कुलपति एवं नराकास, महेंद्रगढ़ के अध्यक्ष प्रो. टंकेशवर कुमार ने अपने संदेश में कार्यालयीन कार्यों में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए इस तरह की कार्यशाला को महत्त्वपूर्ण बताया। 

कार्यशाला की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ हुई। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के सम-कुलपति प्रो. पवन कुमार शर्मा ने विशेषज्ञ का स्वागत करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेशवर कुमार के नेतृत्व में राजभाषा हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने की दिशा में लगातार प्रयासरत है तथा इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु विश्वविद्यालय में अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। उन्होंने राजभाषा हिंदी से संबंधित अपने रोचक व ज्ञानवर्धक अनुभव भी प्रतिभागियों से साझा किए।  

विश्वविद्यालय की हिंदी अधिकारी डॉ. कमलेश कुमारी ने विषय विशेषज्ञ, विश्वविद्यालय  के कुलपति, सम-कुलपति एवं नराकास, महेंद्रगढ़ के उपस्थित सदस्यों एवं कार्यशाला में विश्वविद्यालय के प्रतिभागी अधिकारियों तथा कर्मचारियों का शाब्दिक स्वागत करते हुए विषय विशेषज्ञ डॉ. वेद प्रकाश गौड़ का परिचय प्रस्तुत किया। कार्यशाला में विशेषज्ञ वक्ता डॉ. वेद प्रकाश गौड़ ने कहा कि राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु आवश्यक है कि इसका प्रयोग व्यवहारिक स्तर पर किया जाए। डॉ. वेद प्रकाश गौड़ ने अपने संबोधन में सभी प्रतिभागियों को हिंदी राजभाषा की व्यापकता, वार्षिक कार्यक्रम, राजभाषा अधिनियम, राजभाषा नियम के बारे विस्तार से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि किस तरह से राजभाषा कार्यान्वयन की अनिवार्यता लागू की गई है। विशेषज्ञ वक्ता ने प्रतिभागियों को बताया कि किस तरह से व्यावहारिक रूप से राजभाषा हिंदी का व्यापकता के साथ क्रियान्वयन किया जा सकता है। उन्होंने प्रतिभागियों को हिंदी में काम करने के लिए प्रेरित किया। कार्यशाला के अंत में विश्वविद्यालय कि हिंदी अधिकारी डॉ. कमलेश कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला के आयोजन में विश्वविद्यालय के हिंदी एवं संस्कृत विभाग के शोधार्थियों ने सक्रिय भूमिका निभाई।

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