अमेरिकी टैरिफ से भारत पर सीमित असर, भारत आत्मनिर्भर और सक्षम: दीपक मैनी

 अमेरिकी टैरिफ से भारत पर सीमित असर, भारत आत्मनिर्भर और सक्षम: दीपक मैनी

- अमेरिकी दबाव बेअसर, भारत की मजबूत आर्थिक और कूटनीतिक स्थिति


- भारतीय उद्योग के लिए चुनौती में छुपा है अवसर 


गुरुग्राम : प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (पीएफटीआई) के चेयरमैन दीपक मैनी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 1 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर 25% टैरिफ और अतिरिक्त ‘पेनल्टी’ लगाए जाने की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह फैसला भारत की अर्थव्यवस्था और निर्यात क्षेत्र को दीर्घकालिक रूप से कमजोर नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा कि भारत आज एक मजबूत और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था है, जिसकी रीढ़ एमएसएमई सेक्टर और विविधतापूर्ण निर्यात बाजार हैं। अमेरिका भारत को झुका नहीं सकता।


मैनी ने कहा कि यह कदम राजनीतिक और जियोपॉलिटिकल दबाव बनाने का प्रयास मात्र है। अमेरिका खुद रूस से ऊर्जा और खाद्यान्न आयात कर रहा है और यूरोपीय देश भी रूस के साथ व्यापार जारी रखे हुए हैं। ध्यान देने योग्य है कि मार्च 2024 में अकेले 174 मिलियन डॉलर के उर्वरक अमेरिकी कंपनियों द्वारा रूस से आयात किए गए, जिसमें पोटाश लगभग 95.5 मिलियन, नाइट्रोजन आधारित लगभग 75.3 मिलियन, और फॉस्फोरस लगभग 3.1 मिलियन डॉलर का था।


ऐसे में भारत पर रूस के साथ व्यापारिक संबंधों को लेकर दबाव डालना उचित नहीं है। भारत की विदेश नीति संतुलित और राष्ट्रीय हितों पर आधारित है, उन्होंने कहा। उन्होंने आगे बताया कि भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों फार्मास्युटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल्स, रत्न और आभूषण में मजबूत प्रतिस्पर्धात्मकता है। फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों को पहले भी अमेरिकी टैरिफ से छूट मिली है, और अन्य सेक्टर नए बाजारों की तलाश और लागत समायोजन के जरिए इस चुनौती का मुकाबला करने में सक्षम हैं। ऑटोमोबाइल, ऑटो पार्ट्स, टेक्सटाइल्स और जेम्स-ज्वैलरी जैसे सेक्टरों में अस्थायी झटका लग सकता है, लेकिन इसका भारत की दीर्घकालिक आर्थिक मजबूती पर कोई गंभीर प्रभाव नहीं पड़ेगा।


दीपक मैनी ने यह भी कहा कि भारत में एक मजबूत और निर्णायक सरकार है, जो ऐसे वैश्विक आर्थिक दबावों का सामना करने के लिए तैयार है। हमारी नीति स्पष्ट है  भारत अपने हितों से समझौता नहीं करेगा। अमेरिकी टैरिफ भारत के लिए नए बाजारों की खोज और घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को और मजबूत करने का अवसर भी बन सकता है। दुनिया की सप्लाई चेन पुनर्गठित हो रही है और भारत इस बदलाव का लाभ उठाने की स्थिति में है।


अंत में, दीपक मैनी ने कहा कि भारतीय उद्योग जगत इस अस्थायी चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने आश्वस्त किया कि भारत की आर्थिक गति बरकरार रहेगी और अमेरिकी टैरिफ का असर सीमित रहेगा।

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