निजी स्कूलों की मनमानी: आरटीई लॉटरी में चयन होने के बाद भी एडमिशन में टालमटोल क्यों? गुरिंदरजीत सिंह

 निजी स्कूलों की मनमानी: आरटीई लॉटरी में चयन होने के बाद भी एडमिशन में टालमटोल क्यों? गुरिंदरजीत सिंह

अभिभावक पहुंचे बीईईओ ऑफिस। 

आरटीई लॉटरी तहत चयन हुए बच्चो को निजी स्कूल जल्द दे दाखिले।  गुरिंदरजीत सिंह

गुरुग्राम : शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों की आरक्षित सीटों पर एडमिशन के लिए शिक्षा विभाग की ओर से लॉटरी निकाली गई थी, जिसमें राज्य में सेंकडो बच्चों का चयन हुआ था। इस पर गुरुग्राम के समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह अर्जुन नगर ने कहा कि आरटीई एक्ट के तहत चयन किए बच्चों को निजी स्कूलों की आरक्षित 25 प्रतिशत सीटों पर सीधे एडमिशन लेना है। नोडल अफसरों की ओर से चयनित की गई सूची को संबंधित निजी स्कूल में भेज दिया गया है, पर कई स्कूल संचालक इस सूची को नोटिस बोर्ड में चस्पा तक नहीं कर रहे हैं। वहीं एडमिशन लेने से आनाकानी कर रहे हैं।

निजी स्कूलों की मनमानी: आरटीई लॉटरी में चयन होने के बाद भी एडमिशन में टालमटोल क्यों? 

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि जब आरटीई एक्ट के तहत 25% आरक्षित सीटो पर दो महीने पहले ऑन लाइन फॉर्म जमा करवाए थे, तब स्कूल वालो ने कोई एतराज नही किया। पर आज जब लॉटरी भी निकल गयी और स्कूल में चयन हो गया, जिस की पूरी जानकारी सरकारी विभाग द्वारा स्कूलो को भी दे दी गयी, तो स्कूल वाले अब एडमिशन में टालमटोल क्यों कर रहे है? 


अभिभावक पहुंचे बीईईओ ऑफिस। 

गुरिंदरजीत सिंह अर्जुन नगर ने कहा कि कुछ अभिभावक उनके पास आये और बताया कि स्कूल वाले द्वारा परिजनों को यह कहकर लौटा दिया जा रहा है कि शिक्षा विभाग और नोडल अफसर से सूची जारी नहीं की गई है। उसके बाद परिजन हमारे से मिले और हम सब बीईईओ ऑफिस गए। और उन्होंने संबंधित स्कूलो को ई मेल भेज दी। वही ये भी देखा गया कि ज्यादातर परिजन परेशान होकर नोडल और शिक्षा अधिकारी के दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं। आज बीईईओ दफ्तर में लगातार पालकों की ओर से शिकायत की गई कि लॉटरी में नाम आने के बाद भी बच्चों को एडमिशन नहीं दिया जा रहा है।


एडमिशन देना ही होगा : शिक्षा विभाग ने बताया कि निजी स्कूलों ने लॉटरी से पहले आरटीई के पोर्टल में स्वयं ही 25 प्रतिशत आरक्षित सीटों की जानकारी अपडेट की। इन्हीं सीटों को देखकर पालकों ने आवेदन किया और लॉटरी निकली तो चयन भी हो गया। शिक्षा विभाग ने बताया कि चयनित बच्चों को हर हाल में एडमिशन देने की जिम्मेदारी निजी स्कूलों की है। इसमें कोई टालमटोल नहीं कर सकते हैं।


स्कूल नहीं जा रहे बच्चे। 


गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि या के तहत दाखिले की प्रीक्रिया में 3 महीने के कबीब समय लग गया। जब कि नया सेशन 2025 26 1 अप्रैल 2025 से शुरू हो गया है। ऐसे में बच्चे जो rte के तहत एडमिशन का इंतज़ार कर रहे हैं, उनकी तीन महीने की पढाई तो हुई ही नही। और अब निजी स्कूलों की मनमानी के चलते शिक्षा का अधिकार कानून के तहत चयनित किए गए बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। पालक इसलिए चिंता में हैं। जबकि  1 अप्रैल से ही शिक्षा सत्र की शुरुआत हो चुकी है। कुछ निजी स्कूलों की ओर से नर्सरी क्लासेस की कक्षाएं दो दिन के बाद शुरू की गई हैं, पर आरटीई में चयनित बच्चे स्कूल ही नहीं गए हैं। लॉटरी निकलने के बाद से ही पालक स्कूलों में संपर्क कर रहे हैं कि बच्चे को कब से स्कूल भेजना है, पर स्कूल संचालक संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे हैं।


सूची मिलेगी तब आगे की प्रक्रिया पूरी करेंगे स्कूल प्रबंधक। 

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि स्कूल प्रबंधक यह कहकर टालमटोल कर रहे हैं कि शिक्षा विभाग से सूची मिलेगी, तब आगे की प्रक्रिया पूरी करेंगे, जबकि शिक्षा विभाग की ओर से सभी नोडल को चयनित सूची जारी करने कह दिया गया है। ज्यादातर नोडल ने सूची जारी कर दी है, पर कुछ निजी स्कूलों की ओर से यह कहकर शिक्षा विभाग में आवेदन किया गया है कि उनके पास सीधी भर्ती में कम बच्चे आएं हैं। इसलिए पोर्टल में जो सीट दी गई थी, उसके अनुसार आरटीई के बच्चों को नहीं रख सकते।


मांग : गुरिंदरजीत सिंह ने  शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा, जिला शिक्षा विभाग, उपयुक्त गुरुग्राम, डीईओ, बीईईओ से मांग की कि आरटीई लॉटरी तहत चयन हुए बच्चो को निजी स्कूल जल्द दाखिले करवाये क्यों कि निजी स्कूलो में नया स्तर 2025-26 1 अप्रैल से शुरू हो चुका है। देरी का मतलब बच्चो कि पढाई में नुकसान।

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