हकेवि में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर 25वां उन्मुखीकरण एवं संवेदनशीलता कार्यक्रम की हुई शुरुआत

 हकेवि में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर 25वां उन्मुखीकरण एवं संवेदनशीलता कार्यक्रम की हुई शुरुआत


हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के यूजीसी-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (यूजीसी-एमएमटीटीसी) द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 पर केंद्रित 25वां ‘उन्मुखीकरण एवं संवेदनशीलता कार्यक्रम‘ का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेशवर कुमार ने किया। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कुलपति ने उच्च शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों को नीति के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि ‘विकसित भारत-2047’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शिक्षा नीति की आत्मा को समझना आवश्यक है। प्रो. टंकेशवर कुमार ने पाठ्यक्रम में ’भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस)’, ’कौशल विकास’, ’इंटर्नशिप’, ’बहुविषयी दृष्टिकोण’, ’मल्टीपल एंट्री-एग्जिट प्रणाली’ को शामिल करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भाषा को शिक्षा, अध्यापन एवं अनुसंधान में बाधा नहीं बनना चाहिए।

कार्यक्रम की शुरुआत में विश्वविद्यालय में यूजीसी-एमएमटीटीसी के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। तत्पश्चात हकेवि में यूजीसी-एमएमटीटीसी की उपनिदेशक प्रो. तनु गुप्ता ने मुख्य अतिथि का परिचय प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्तुत किया। आगामी 13 सितंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम में देश के 12 राज्यों के विभिन्न संस्थानों से 112 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है।  

कार्यक्रम के समन्वयक व सांख्यिकी विभाग में सह-आचार्य डॉ. जोगिंदर ने विशेषज्ञ वक्ता तथा विश्वविद्यालय के अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विभाग में प्रो. संजीव कुमार का परिचय प्रस्तुत किया। प्रो. संजीव कुमार ने प्रतिभागियों से ’राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ)’ एवं ’राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा गुणात्मक ढांचा (एनएचईक्यूएफ)’ के अनुरूप पाठ्यक्रम सुधारों पर विस्तृत चर्चा की। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च (आईएमएसएआर), महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक के डॉ. नरेश कुमार ने समाज में उच्च शिक्षा संस्थानों की भूमिका विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के प्रथम दिवस के अंत में कार्यक्रम समन्वयक व सांख्यिकी विभाग में सहायक आचार्य डॉ. रविंद्र ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

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