रक्षा निर्यात में भारत के बढ़ते कदम से मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री में आएगा बूम: दीपक मैनी

 रक्षा निर्यात में भारत के बढ़ते कदम से मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री में आएगा बूम: दीपक मैनी

- रक्षा क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को तैयार करने का मिलेगा ऑर्डर


- प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री की ओर से डिफेंस एक्सपोर्ट बढ़ने पर जताई गई खुशी 


गुरुग्राम: अजय वैष्णव। प्रोग्रेेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (पीएफटीआई) के चेयरमैन दीपक मैनी ने कहा कि रक्षा क्षेत्र के निर्यात में भारत का बढ़ता दबदबा मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के लिए शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि देश ने रक्षा निर्यात का जो कीर्तिमान वित्तीय वर्ष 2023.24 में बनाया है वह सराहनीय है। इस वित्तीय वर्ष में भारत ने 21,083 करोड़ रुपये का रक्षा व उससे संबंधित उत्पादों का निर्यात किया है। भारत रक्षा उत्पादों के आयातक के स्थान पर निर्यातक बनने का जो सफर तय कर रहा है वह आने वाले समय में देश की मजबूती का बड़ा संकेत है। आने वाला समय भारत का है। रक्षा उपकरणों को बनाने का जो ऑर्डर बड़ी भारतीय कंपनियों को मिल रहा है उससे देश के एमएसएमई श्रेणी की कंपनियों को निकट समय में बड़ा फायदा मिलने वाला है। उन्हें भी रक्षा उपकरणों को बनाने से संबंधित ऑर्डर मिलेंगे। इससे जहां एमएसएमई को बढ़ावा मिलेगा और उनकी आर्थिक शक्ति बढ़ेगी वहीं वह रोजगार के सृजन में भी बड़ी भूमिका निभाने में सक्षम होंगे।


दीपक मैनी ने कहा कि रक्षा निर्यात में जो सफलता भारत को मिली है उसकी जितनी सराहना की जाए उतनी कम है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत अभियान है वह सही दिशा में अग्रसर है। रक्षा निर्यात के मामले में भारत की जो सफलता इसमें देश की लगभग 50 कंपनियों का महत्वपूर्ण योगदान है। इनमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्सए एचएएलए भारत डायनेमिक्स सहित अन्य कई कंपनियों के नाम शामिल हैं। रक्षा क्षेत्र की बड़ी भारतीय कंपनियों ने सिर्फ उत्कृष्ट प्रोडक्ट का ही निर्माण नहीं किया है वरन उन्हें आधुनिक प्रौद्योगिकी के अनुसार बनाया है। यही कारण है कि दुनिया भर के देशों में इसकी मांग बढ़ती जा रही है। भारत ने जो भी रक्षा उपकरण और हथियार बनाएं हैं उसे यूनाइटेड अरब अमीरात, फिलीपींस. सऊदी अरब, पोलैंड, इजिप्ट, इजरायल,  मालदीव, इटली, रूस, श्रीलंका, चिली, स्पेन, थाइलैंड, ग्रीस सहित अन्य देश खरीद रहे हैं।

पीएफटीआई चेरमैन दीपक मैनी ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में भारत का रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में 32.5 प्रतिशत बढ़ गया है। भारत की इस उपलब्धि मे निजी क्षेत्र का 60 प्रतिशत और डीपीएसयू का 40 प्रतिशत योगदान है। यदि इसकी तुलना वर्ष 2021-22 से की जाए तो यह लगभग 3000 करोड़ रुपये के बराबर है। इस समय भरत 85 से अधिक देशों को हथियारों का निर्यात कर रहा है। भारत सरकार का लक्ष्य आने वाले समय में रक्षा निर्यात को पांच बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंचाने का है। इस दिशा में रक्षा मंत्रालय की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। भारतीय रक्षा उद्योग ने रक्षा उत्पादों का निर्यात करने वाली सौ कंपनियों के साथ डिजाइन और डेवलपमेंट की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। दीपक मैनी ने बताया कि वह लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं कि हरियाणा में भी डिफेंस हब बनाया जाए और बड़ी-बड़ी कंपनियों को आमंत्रित किया जाए। यदि ऐसा होगा तो हरियाणा भी भारत के रक्षा निर्यात में बड़ी भूमिका निभा सकता है। प्रदेश के पास इस मामले में भरपूर क्षमता भी है। हरियाणा का गुरुग्राम देश का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल हब है जहां पर रक्षा उत्पादों की मैन्यूफैक्चरिंग कराने के लिए अधिक प्रयास नहीं करना पड़ेगा। इस ओर प्रदेश सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

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