जेही विधि नाथ होए हित मोरा, करहु सो बेगी दास मैं तोरा
श्री गुरु द्रोणाचार्य रामलीला क्लब (रजि) गुरुग्राम गाँव में पहले दिन की रामलीला में नारद मोह की लीला का मंचन किया गया | जिसमें की नारद जी को घमंड हो गया था कि उनकी तपस्या के कारण ही भगवान इन्द्र जी का सिंहासन डोल उठा | उसके उपरांत भगवान विष्णु जी ने अपनी माया से श्री निवासपूरी नगरी जैसी अति सुंदर नगरी का निर्माण किया व वहाँ के राजा शीलनिधि द्वारा अपनी पुत्री का स्वयंवर रखा जिसमें कि दूर दूर के राजाओं ने भाग लिया परंतु राजा शीलनिधि की पुत्री ने भगवान विष्णु जी को अपना वर चुना, उसके उपरांत मुनि नारद ने विष्णु जी को गुस्से में कहा कि “जिस प्रकार मैं स्त्री मोह में तड़प रहा हूँ ऐसे ही एक दिन आपको भी स्त्री मोह में तड़पना पड़ेगा” परंतु जब नारद मुनि को अपने कहे का एहसास हुआ तो उनको बहुत पछतावा हुआ तब जाकर नारद मुनि का मोह भंग हुआ |