पल पल ढल ढल, ढल गई सारी दुनिया से महरूम चले हैं
श्री गुरु द्रोणाचार्य रामलीला क्लब गुरुग्राम गाँव की दूसरे दिन की लीला के मंचन में राजा दशरथ संतान न होने से काफ़ी दुखी रहते हैं और कहते है कि “पल पल ढल ढल, ढल गई सारी दुनिया से महरूम चले हैं स्याही गई सफ़ेदी आयी, कुछ उम्मीद ना देख दिखायी”
उसके पश्चात राजा दशरथ जी ऋषि शृंगी जी को व्यथा सुनाते हैं शृंगी जी संतान प्राप्ति हेतु यज्ञ करते हैं जिसके पश्चात् राजा के घर चार पुत्र जन्म लेते हैं राजा दशरथ बहुत प्रसन्न होते हैं समस्त नगरी में उत्सव् मनाया जाता है | उसके पश्चात चारों राजकुमारों का नामाँकरण राम, भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न किया जाता है व् इसके पश्चात् उनकी शिक्षा-दीक्षा मुनि वशिष्ठ जी द्वारा कराई जाती है |
सुबाहु मारीच नामक राक्षसों ने जंगलों में उत्पात मचाया होता है वह किसी को भी ईश्वर का नाम नहीं लेने देते हैं | इनसे परेशान होकर ऋषि विश्वामित्र जी राजा दशरथ के पास जाते है व् राक्षसों का संहार करने के लिए श्री राम जी व लक्ष्मण जी को अपने साथ लेकर जाते हैं | रास्ते में मायावी, भयंकर राक्षसी ताड़ख़ा से उनका आमना-सामना होता है जिसको कि वह कुछ ही देर में ढेर कर देते हैं उसके पश्चात उनकी भिड़न्त सुबाहु-मारीच व अन्य राक्षसों के साथ होती है राम जी व लक्ष्मण जी उनका भी संहार करते है |
रामलीला के मीडिया प्रभारी सुनील के मुताबिक़ कल की रामलीला में सीता स्वयंवर, मुनि विश्वामित्र-लक्षमण संवाद मुख्य होंगे |