बाबुल की दुआएं लेकर बहनों संग अयोध्या को विदा हुई सीताजी
-सदर बाजार, जैकबपुरा क्षेत्र में भव्यता से निकाली गई राम बारात
-भावुकता भरे माहौल के बीच हुई सीता समेत चारों बहनों की विदाई
गुरुग्राम। राम लीला के चौथे दिन राजा दशरथ के चारों पुत्रों राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न का राजा जनक की चारों पुत्रियों के साथ विवाह की लीला का मंचन किया गया। चारों की विदाई की लीला भी बहुत भी भावुक रही। इससे पूर्व शहर में भव्य राम बारात भी निकाली गई। जिसका जगह-जगह पर पुष्पवर्षा से स्वागत हुआ। जैकबपुरा, सदर बाजार आदि क्षेत्रों से राम बारात निकली।
यहां जैकबपुरा स्थित श्री दुर्गा रामलीला में चौथे दिन विवाह की चिट्ठी राजा जनक की ओर से अयोध्या में राजा दशरथ के पास भेजी गई। जिसके बाद राजा दशरथ अपने दोनों राजकुमारों भरत व शत्रुघ्न को लेकर जनकपुरी पहुंचे। राम-लक्ष्मण पहले से ही गुरू वशिष्ठ के साथ जनकपुरी में मौजूद थे। चारों राजकुमारों की विवाह राजा जनक की चारों पुत्रियों के साथ कराया गया। मंच पर ही फेरों की रस्म अदा की गई। इसके बाद विदाई की गई। विवाह में हरियाणवी गीतों के माध्यम से माहौल को रोमांचित किया गया। राम लीला में बैठी महिलाएं भी हरियाणवी गीत सुनकर खुद गीत गाने लगी। फेरे होने के बाद विदाई की तैयारी की गई। अपनी पुत्रियों को सदा सुखी रहने का आशीर्वाद देते हुए राजा जनक बहुत ही भावुक हो गए। भावुकता के गीत गाते हुए ही राजा जनक ने अपनी पुत्रियों को विदा किया। विशेषकर सीता को विदा करते हुए राजा जनक अश्रुधारा नहीं रोक पाए।
श्री दुर्गा राम लीला के प्रवक्ता राज सैनी बिसरवाल ने बताया कि सीता जी की बहनों संग अयोध्या में विदाई से पूर्व विवाह के दौरान कन्यादान के लिए महिलाएं, पुरुषों ने दिल खोलकर कन्या दान दिया। विवाह समारोह एक घरेलू विवाह समारोह की तरह नजर आया। सीता जी की विदाई के समय माहौल पूरा भावुक हो गया। बहुत सी महिलाओं और पुरुषों की आंखों में आंसु तक आ गए। यही कलाकारों की कला की सफलता है कि वे मंच पर लीला के माध्यम से दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं।