समाज में टूटते रिश्ते और बढ़ते नशे ने बिगाड़ी तस्वीर : संतोष श्रीपाल शर्मा

 समाज में टूटते रिश्ते और बढ़ते नशे ने बिगाड़ी तस्वीर : संतोष श्रीपाल शर्मा

गुरुग्राम। महिला शक्ति मंच गुरुग्राम की अध्यक्ष श्रीमती संतोष श्रीपाल शर्मा ने कहा कि जब हम आज के समाज की गहराई से पड़ताल करते हैं, तो स्थिति पहले की तुलना में बिल्कुल बदल चुकी दिखाई देती है। रिश्तों-नातों और भाईचारे से लेकर परिवार, दोस्ती, गुरु-शिष्य, आस-पड़ोस, पति-पत्नी और भाई-बहन जैसे संबंधों का विश्वास लगातार कमजोर होता जा रहा है।


उन्होंने कहा कि भारत ऋषि-मुनियों की भूमि रहा है, जहाँ बुजुर्गों को समाज की धरोहर माना जाता था और उनका सम्मान सर्वोपरि समझा जाता था। लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि बुजुर्ग वृद्धाश्रमों में देखे जा रहे हैं। यह सामाजिक विघटन का परिणाम है।


श्रीमती शर्मा ने समाज में बढ़ते नशे और मांसाहार की प्रवृत्ति को इसके पीछे का बड़ा कारण बताया। उन्होंने कहा कि शराब, ड्रग्स और तरह-तरह के नशों के साथ-साथ मीट की दुकानें गांवों, कॉलोनियों और बाजारों में तेजी से फैल रही हैं। इससे न केवल बाजारों की सूरत बिगड़ी है बल्कि मानवीय संवेदनाएं और दया-धर्म भी खत्म होते जा रहे हैं। "पहले हमारे देश में 99% लोग सात्विक भोजन करते थे और नशे का नामोनिशान नहीं था। आज स्थिति उलट है—इंसान बचे हैं लेकिन परिवार नहीं बचे।"


उन्होंने पड़ोसी राज्य पंजाब का उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ नशे ने पूरी युवा पीढ़ी को जकड़ लिया है। इसी कुप्रभाव का असर पूरे समाज में दिखाई देने लगा है। "आज छोटी-छोटी बातों पर गुरु, पति-पत्नी, भाई-बहन और माता तक की हत्याएं हो रही हैं।"


महिला शक्ति मंच की अध्यक्ष ने लव मैरिज और रिलेशनशिप को भी सामाजिक विघटन का कारण बताते हुए कहा कि इस प्रवृत्ति ने तलाक और अपराध की दर को बढ़ा दिया है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का सम्मान करते हुए भी उन्होंने आग्रह किया कि सामाजिक ताने-बाने को ध्यान में रखते हुए पुनर्विचार की आवश्यकता है। विशेषकर एक ही गोत्र, गांव और परिवार में विवाह पर रोक होनी चाहिए, क्योंकि इससे समाज का संतुलन बिगड़ता है।


उन्होंने समाज के बुद्धिजीवियों, सामाजिक संस्थाओं, समाजसेवियों और जिम्मेदार नागरिकों से आह्वान किया कि "अब समय आ गया है कि हम सब अपनी संस्कृति, परंपरा और मान-मर्यादा की रक्षा के लिए संगठित होकर मार्गदर्शन करें। हरियाणा की छह ऋतुएं और इसका स्वर्ग तुल्य वातावरण तभी सुरक्षित रह पाएगा, जब हम सब मिलकर अपने समाज को सुंदर और सभ्य समाज बनाने का संकल्प लें।"

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